Pune Porsche Accident: टावरे ने ससून से नाबालिग के खून की जगह किसका खून भेजा? पुणे पोर्श मामले में नया खुलासा आया सामने 

Thu, May 30 , 2024, 10:15 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

पुणे. ससून अस्पताल (Sassoon Hospital) के फॉरेंसिक विभाग (forensic department) के प्रमुख डॉ. अजय टावरे (Dr. Ajay Taware) और डॉ. श्रीहरि हलनोरे (Dr. Shrihari Halnor) दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है. अब इस केस में नई खबर आ रही है कि नाबालिग  के खून के बदले किसका खून लिया गया इसकी जानकारी सामने आ गई है. सूत्रों के मुताबिक, टावरे के आदेश के बाद हलनोरे ने एक महिला से खून का नमूना लिया। साथ ही इस मामले में गठित कमेटी ने कुछ सिफारिशें भी की हैं.

किसका खून लिया गया?
ससून अस्पताल चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि फोरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ. अजय टावरे और डॉ. श्रीहरि हल्नोर दोनों ने हेराफेरी की है. इस मामले में पुणे पुलिस क्राइम ब्रांच (Pune Police Crime Branch) की टीम ने रविवार (26 मई 2024) देर रात दोनों डॉक्टरों को गिरफ्तार कर लिया. साथ ही पुलिस ने सोमवार को ससून अस्पताल के शव परीक्षण विभाग (autopsy department) के एक कांस्टेबल अतुल घाटकंबले को भी गिरफ्तार कर लिया. इन तीनों की गिरफ्तारी के बाद पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने घटना का सटीक क्रम बताया था. यह सच है कि टावरे के कहने पर हैलनोर ने बच्चे के खून के नमूने ले लिए लेकिन बाद में उन्हें कूड़े में फेंक दिया। लेकिन इसके बदले खून किसका भेजा गया, इसका कोई खुलासा नहीं हुआ. इस संबंध में खुलासा अब हुआ है और सूत्रों के मुताबिक हैलनोर ने दो बुजुर्गों के ब्लड सैंपल लिए थे. साथ ही इस नाबालिग बच्चे के खून की जगह दूसरी महिला का खून का सैंपल लिया गया. उसी महिला के खून को बच्चे के खून का नमूना मानकर जांच के लिए भेजा गया था.

समिति की टिप्पणी
मेडिको लीगल केस (MLC) मामले से निपटने के संबंध में, समिति ने प्रचलित अस्पताल प्रशासन मैनुअल और सिविल मेडिकल कोड और महाराष्ट्र सिविल सेवा नियमों के प्रावधानों पर विचार करके अपनी प्रतिक्रिया और सिफारिशें दी हैं। आइए देखें क्या हैं ये सिफारिशें...

1) ससून हॉस्पिटल और सरकारी मेडिकल कॉलेज परिसर में मीडिया प्रतिनिधियों के आचरण को लेकर प्रिंसिपल ने नहीं बरती सतर्कता. (महाराष्ट्र सिविल सेवा अस्पताल प्रशासन मैनुअल)

2) ऐसा प्रतीत होता है कि डॉ. श्रीहरि हल्नोर ने 19 मई 2024 को एमएलसी जांच और रक्त के नमूने लेते समय नियमों का पालन नहीं किया है। (साक्ष्य की अभिरक्षा की श्रृंखला)

3) रक्त के नमूनों को बदलने के उद्देश्य से डॉ. श्रीहरि हरनोल ने एक महिला और दो बुजुर्गों के रक्त के नमूने लिए।

4) ड्यूटी पर तैनात आरएमओ और चिकित्सा अधीक्षक नियमानुसार एमएलसी कार्य का पर्यवेक्षण नहीं करते दिख रहे हैं। (अस्पताल प्रशासन मैनुअल)

5) फोरेंसिक साइंस विभाग के प्रोफेसर एवं प्रमुख डाॅ. फोरेंसिक विभाग को 25 अप्रैल को भेजे गये पत्र क्रमांक 322/2024 के अनुसार डाॅ. अजय टावरे को निर्धारित विस्तारित अवकाश अवधि के दौरान ड्यूटी पर उपस्थित होना था। फॉरेंसिक साइंस विभाग के पत्र क्रमांक 350/2024 में कहा गया कि टावरे 2 मई, 2024 से 21 मई, 2024 तक विस्तारित छुट्टी पर थे। बताया जा रहा है कि वे इस लंबी छुट्टी के दूसरे सत्र में 22 मई से काम करेंगे. हालांकि, बायोमेट्रिक रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि टावरे 21 मई को काम पर मौजूद थे. महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (Maharashtra University of Health Sciences) के नियमों के अनुसार, गर्मियों की लंबी छुट्टियों की अवधि का आनंद केवल पहले या दूसरे सेमेस्टर में ही लिया जा सकता है और उक्त अवधि को सुविधा के अनुसार विभाजित करने के लिए अधिकारियों की पूर्व अनुमति आवश्यक है.

6) यदि अधिकारियों ने इस मामले की सरकारी और सामाजिक गंभीरता को पहचाना होता और सरकार को पहले (26 मई 2024 से पहले) जानकारी उपलब्ध कराई होती, तो ससून अस्पताल प्रशासन (Maharashtra Civil Services Rules) अपने स्तर पर पुलिस जांच में अधिक सहयोग करता। साथ ही ससून अस्पताल और सरकार की छवि भी बनी रहती। 

समिति द्वारा की गई सिफारिशें:
1) दुर्घटना विभाग के चिकित्सा अधिकारी का उद्देश्य एमएलसी परीक्षा, रक्त नमूनाकरण, लेबलिंग, सीलिंग और पुलिस को सौंपने की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना है।

2) इसका उद्देश्य कैजुअल्टी विभाग में दो अलग-अलग रजिस्टरों अर्थात् इंडोर एमएलसी और ओपीडी एमएलसी को मर्ज करना है।

3) नशीली दवाओं के दुरुपयोग के संदिग्ध एमएलसी के मामले में रक्त के नमूने के साथ मूत्र परीक्षण का इरादा है। हालाँकि, निर्धारित नमूने न्यायिक सहायक प्रयोगशाला के परामर्श से लिए जाने चाहिए।

4) यह अपेक्षा की जाती है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कर्तव्य पर तैनात चिकित्सा अधिकारी को फोरेंसिक मामलों से निपटने के लिए समय-समय पर पुनश्चर्या प्रशिक्षण से गुजरना चाहिए। (सिविल मेडिकल कोड हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन मैनुअल) (Civil Medical Code Hospital Administration Manual)

5) अधिकारियों को ससून अस्पताल और सरकारी मेडिकल कॉलेज के क्षेत्र में नियमानुसार मीडिया प्रतिनिधियों को जानकारी प्रदान करने के लिए डॉक्टरों या कर्मचारियों की नियुक्ति करनी चाहिए.

Latest Updates

Latest Movie News

Get In Touch

Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.

Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265

info@hamaramahanagar.net

Follow Us

© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups