Women Health : देर से बच्चे पैदा करने का बढ़ रहा है चलन, शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है? गर्भधारण की सही उम्र क्या है? 

Fri, May 03 , 2024, 01:45 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Right Age to Conceive : एक अध्ययन में देर से गर्भावस्था (late pregnancy) के शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का खुलासा हुआ है। गर्भधारण की सही उम्र क्या है (Right Age to Conceive)? आज का लेख इस दृष्टि से महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है कि आपको क्या जानना चाहिए।

 एक अध्ययन से जानकारी आई सामने 
2020 में ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स (Office for National Statistics) के एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई। इसके अनुसार देर से बच्चे पैदा करने का चलन बढ़ रहा है। कई महिलाएं मां बने बिना ही 30 की उम्र में प्रवेश कर रही हैं। अध्ययन के अनुसार, 1990 में जन्मी आधी महिलाएं 2020 में अपना 30वां जन्मदिन मनाएंगी, जिनमें से कई महिलाएं जल्दी गर्भवती न होने का विकल्प चुनती हैं। कई सालों से इस बात पर चर्चा होती रही है कि बच्चा पैदा करने की सही उम्र क्या है। आज के युवा इस बारे में अपने से पहले की पीढ़ी से बहुत अलग तरीके से सोचते हैं। अधिकांश युवा रिश्ते की गतिशीलता और करियर को प्राथमिकता देने पर ध्यान केंद्रित करके अपने पालन-पोषण के जीवन की शुरुआत में देरी कर रहे हैं। जिसके कारण देर से बच्चे पैदा करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।

क्या 35 साल की उम्र गर्भधारण के लिए उपयुक्त है?
ज्यादातर डॉक्टरों का मानना ​​है कि 35 साल तक की उम्र महिलाओं के लिए गर्भधारण के लिए सबसे उपयुक्त होती है। 35 साल के बाद भी महिलाओं को इस प्रक्रिया के दौरान ज्यादा तकलीफ नहीं होती है। वहीं, कई महिलाओं को इस उम्र के बाद गर्भधारण करने में काफी दिक्कत आती है। साथ ही, उन्हें कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है।

 35 साल की उम्र के बाद गर्भधारण के कई जोखिम हैं...
एक न्यूज एजेंसी द्वारा लिए गए इंटरव्यू के मुताबिक, नर्चर आईवीएफ हॉस्पिटल की गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना धवन बजाज ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, महिलाओं में 35 वर्ष को उन्नत मातृ आयु के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 35 साल की उम्र के बाद महिलाओं के अंडे की गुणवत्ता प्रभावित होने लगती है। इसमें सबसे ज्यादा कमी 40 की उम्र के बाद होती है। इस अवधि के दौरान जन्म लेने वाले बच्चे में क्रोमोसोमल असामान्यताएं और डाउन सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है।

  माता-पिता की बढ़ती उम्र का असर बच्चों पर भी पड़ता है
डॉ. नर्चर आईवीएफ अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार श्रीहर्ष हाथीराना के अनुसार, मातृ और पितृ उम्र का भी बच्चों पर प्रभाव पड़ता है। अगर पिता की उम्र अधिक है तो बच्चे में मार्फन सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है। हालाँकि पुरुष जीवन भर शुक्राणु का उत्पादन कर सकते हैं, लेकिन उम्र के साथ उनकी गुणवत्ता में गिरावट आती है। उच्च आनुवंशिक विकार जैसी स्थितियाँ उन्नत पैतृक आयु वाले बच्चों में हो सकती हैं। वे ऑटिज्म, सिज़ोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर से भी पीड़ित हो सकते हैं।

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