"सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू ए कातिल में है। "
विनय दूबे/भायन्दर
क्रांतिकारी पंडित रामप्रसाद 'बिस्मिल', अशफाक उल्लाह खान, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्रनाथ लाहिड़ी की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य पर अन्याय विरोधी संघर्ष समिति के संस्थापक व वरिष्ठ पत्रकार सुभाष पाण्डेय, पत्रकार विनय दूबे,व्यवसायी जयराम तिवारी, भोजपुरी सिनेमा के मशहूर कलाकार रमेश द्विवेदी ने भाईंदर के गोल्डन नेस्ट में क्रांतिकारी, लेखक शहीद पं. रामप्रसाद 'बिस्मिल' की तस्वीर को सीने से लगाकर और उनकी प्रसिद्ध कविता 'सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है" का पठन करते हुए उन चारों को विनम्र श्रद्धांजलि (Humble tribute) दी।
सुभाष पाण्डेय (Subhash Pandey) ने बताया की आज के युवा को भी हमारे देश के गौरवशाली इतिहास के साथ साथ आजादी की लड़ाई में अपने जान की आहुति दिए हुए युवा क्रांतिकारियों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए क्यूंकि वे सभी क्रांतिकारी जवान और तेज तर्रार युवक थे, बिस्मिल के साथ साथ अशफाक उल्लाह खान, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को जब फांसी दी गई तो उन चारों की उम्र महज 26 से 35 साल के बीच की थी, हम उन चारों क्रांतिकारीयों के सदैव ऋणी रहेंगे। पत्रकार विनय दूबे ने कहा की "बिस्मिल" का अर्थ होता है जख्मी और पंडित जी की देश के आजादी के प्रति जूनून के कारण ही उनकी यह उपाधि मिली थी, ज्ञात हो की इतनी कम उम्र में ही उन्होंने सरफ़रोशी की तमन्ना जैसी महान कविता की रचना कर डाली थी उनके त्याग और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है, साथ ही बिस्मिल और खान की दोस्ती भी हिन्दू-मुस्लिम एकता (Hindu-Muslim unity) की मिसाल है।
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Tue, Dec 19 , 2023, 04:32 AM