सिर्फ आसामी भाषा बोलने के कारण पहुंचने में दिक्कत
आशीष सिंह
मुंबई: अंधेरी पुलिस ने इस सप्ताह असम की एक महिला को उसके परिवार से फिर से मिलाया है, महिला को ओमान से भारत (Oman to India) वापस भेज दिया गया था और फिर मुंबई की हलचल में वह खो गई थी। शनिवार सुबह महिला और उसका भाई अपने गांव के लिए निकल गए हैं।
असिया बेगम (38) जो असम की पहाड़ियों में स्थित एक दूरदराज के गांव से रहती हैं, 8 दिसंबर को वह ओमान गई थी। उन्होंने अपने गांव के एक दूसरे व्यक्ति की मदद से वहां हाउसकीपिंग (housekeeping) की नौकरी प्राप्त की थी, वह वहां भी काम करता था। नौकरी शुरू करने के केवल तीन दिन बाद, उसे नियुक्त करनेवालों ने उसे वापस भेज दिया। क्योंकि वह असमिया के अलावा कोई अन्य भाषा नहीं जानती थी। उन्होंने उसके लिए मुंबई का टिकट खरीदा और उसे हवाई जहाज में बैठाकर भेज दिया।
आसिया 13 दिसंबर को मुंबई पहुंची थी। उनके छोटे भाई सलीमुद्दीन, जो इस दौरान उसके संपर्क में थे, जब महिला का फोन नहीं लगा तो वह डर गए। सलीमुद्दीन ने कहा कि उसके पास ट्रेन टिकट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। वह तकनीक का उपयोग करना नहीं जानती थी। उसका फोन ही उसे घर वापस लौटने में मदद कर सकता था, जो उसके आसाम स्थित घर पर आने का एकमात्र साधन था।
डीसीपी दत्ता नालावाड़े (DCP Dutta Nalawade) ने बताया कि आसिया घर वापस जाने के लिए ट्रेन पकड़ना चाहती थी। वह छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस या लोकमान्य तिलक टर्मिनस तक जाने का रास्ता तलाश रही थी। उसके पास ज्यादा पैसे नहीं होने के कारण वह हवाईअड्डे से बाहर चली गई और लोगों से मदद मांगने की कोशिश की। चूंकि वह हिंदी या मराठी में संवाद नहीं कर सकती थी, इसलिए वह लोगों को यह नहीं समझा सकी कि वह क्या चाहती है। वह कुछ देर तक चलती रही और किसी तरह अंधेरी स्टेशन पहुंची। वहां से, कुछ महिलाएं, जिन्होंने उसे परेशान देखा, वे उसे पुलिस स्टेशन ले गई।
पुलिस ने उसका पासपोर्ट देखा जिससे पता चला कि वह असम की रहने वाली है। उन्होंने महिला की बात को समझने के लिए में मदद मिलने के उद्देश्य से आसामी भाषा जाननेवाले एक स्थानीय व्यक्ति को बुलाया। पुलिस इंस्पेक्टर बालाजी दहीफले ने बताया कि हमारे स्टाफ के सदस्यों ने उसे सहज महसूस कराया कि वह हमारी महिला अधिकारियों के साथ है। हमें पता चला कि उसके फोन की बैटरी पूरी तरह से खत्म हो गई थी, जिसे हमने चार्ज किया ताकि वह अपने परिवार को अपने ठिकाने के बारे में सूचित कर सके। एक बार जब दुभाषिया ने आकर पुलिस को महिला की कहानी बताई, तो वे सभी सलीमुद्दीन के साथ वीडियो कॉल पर आए ताकि वह देख सके कि उसकी बहन ठीक है। उसने पुलिस को बताया कि वह अपनी बहन को घर वापस लाने के लिए तुरंत मुंबई रवाना होगा।
चूँकि महिलाओं को रात भर पुलिस स्टेशनों में नहीं रखा जा सकता, इसलिए पुलिस ने आसिया के लिए अगले कुछ दिनों के लिए महिला आश्रय में रहने की व्यवस्था की। सलीमुद्दीन शुक्रवार को मुंबई पहुंचे जिसके बाद थाने में भाई-बहन की अश्रुपूरित मुलाकात हुई। आसिया के साथ मौजूद एक महिला अधिकारी ने बताया कि इससे पहले, हम सहज होने के बावजूद आसिया की आंखों में चिंता और डर देख सकते थे। एक नजर उसके भाई पर पड़ी और डर की जगह राहत ने ले ली।
सलीमुद्दीन अंधेरी पुलिस की टीम, खासकर महिला अधिकारियों के बहुत आभारी हैं, जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनके आने तक आसिया सुरक्षित रहे और उसकी अच्छी तरह से देखभाल की जाए। उन्होंने कहा कि उस दिन जब वह अपनी बहन से संपर्क नहीं कर सका, तो वह बहुत चिंतित था। वह हर तरह के नकारात्मक विचारों से घिरा हुआ था। वह अपनी बहन की देखभाल करने के लिए मुंबई पुलिस के प्रति अधिक आभारी है। आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने और भाई-बहनों की पहचान स्थापित करने के बाद, आसिया शुक्रवार को अपने भाई से मिली। शनिवार को पुलिस की मदद से वह अपने गांव जाने में सफल रही।
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Sat, Dec 16 , 2023, 08:59 AM