यह बिल इवेंट मैनेजमेंट के अलावा कुछ भी नहीं
मुंबई। लोकसभा में बुधवार को महिला आरक्षण बिल बहुमत से मंजूर हो गया। हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले (Nana Patole) ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की तरफ से लोकसभा में पेश महिला आरक्षण बिल एक और चुनावी जुमला साबित होगा। विधेयक के प्रावधानों पर नजर डालें तो महिला आरक्षण विधेयक इवेंट मैनेजमेंट के अलावा कुछ नहीं है। नाना पटोले ने कहा कि अगर महिला आरक्षण कानून पारित भी हो गया, तो इसे 2024 के चुनावों में लागू नहीं किया जाएगा और देश की करोड़ों महिलाओं को मोदी सरकार ने निराश किया है।
पटोले ने कहा कि भले ही महिला आरक्षण बिल संसद के विशेष सत्र में पारित हो जाए, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में इसके लागू होने की कोई संभावना नहीं है। लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण लागू करने से पहले जनगणना जरूरी है। साल 2021 में होने वाली जनगणना अभी तक मोदी सरकार ने नहीं कराई है। साथ ही यह कानून निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन के बाद ही लागू किया जा सकता है। निर्वाचन क्षेत्र का पुनर्गठन 2026 में होगा, तो क्या जनगणना और निर्वाचन क्षेत्र का परिसीमन 2024 के चुनाव से पहले होगा? यही असली सवाल है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी मिल भी जाए तो भी यह तुरंत लागू होता नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि यह बिल सिर्फ चुनाव को देखते हुए लाया गया है।
शिवसेना ने किया बिल का समर्थन
वहीं एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने महिला आरक्षण बिल (women reservation bill) का समर्थन किया। पार्टी के सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा कि 19 सितंबर का दिन इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो जाएगा। शिवसेना नारी शक्ति वंदन अधिनियम (108वां संशोधन) का तहे दिल से स्वागत करती है, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है। हमारे नेता एकनाथ शिंदे के निर्देशानुसार, शिव सेना इस विधेयक को अपना समर्थन देने की घोषणा कर रही है। विधेयक के अनुसार, एससी और एसटी समुदायों के लिए आरक्षित सीटों में से एक तिहाई सीटें इन समुदायों की महिलाओं के लिए भी आरक्षित होंगी। नए संसद भवन में ऐतिहासिक बिल पेश होने के साथ ही देश में महिलाओं के लिए एक नई शुरुआत हुई है। महिला सशक्तिकरण विधेयक देश में लोकतंत्र को और मजबूत करेगा। पिछली सरकारों ने हमेशा महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ रुख अपनाया है, जिसका मतलब है कि महिलाएं, जो देश की आबादी का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा हैं, को अभी भी उनके राजनीतिक अधिकार नहीं मिले हैं।
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Wed, Sep 20 , 2023, 08:35 AM