मराठा आरक्षण आंदोलन: सीएम ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, जानें आखिर किस बात को लेकर हो रहा प्रदर्शन

Mon, Sep 11 , 2023, 03:26 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई. 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से पहले एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) का जहाज हिचकोले लेने लगा है. इस बार सत्ता के जहाज को डांवाडोल करने वाली लहर मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) आंदोलन की है. बीजेपी-शिवसेना (शिंदे) गुट की सरकार ने सत्ता में आने के बाद पहली बार विपक्ष के विचारों को जानने की पहल की है. मराठा समुदाय राज्य की आबादी का करीब एक-तिहाई है. यह समुदाय महाराष्ट्र की राजनीति में अच्छी खासी पकड़ रखता है. समुदाय सरकारी नौकरी और शिक्षा संस्थानों में आरक्षण की मांग कर रहा है. हालांकि यह मांग आज की नहीं है, बल्कि इसकी शुरुआत 32 साल पहले 1981 में हुई थी.

मराठा आरक्षण को लेकर इस तरह का पहला विरोध प्रदर्शन करीब 32 साल पहले मथाडी लेबर यूनियन के नेता अन्नासाहेब पाटिल ने मुंबई में किया था. उसके बाद 2023 में 1 सितंबर से इस विरोध ने फिर से सर उठाना शुरू किया. तब आरक्षण की मांग के लिए प्रदर्शन कर रहे मराठाओं पर जालना में पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया था. यह वही जगह थी जहां जारांगे-पाटिल भूख हड़ताल पर बैठे थे. दशकों पुरानी इस मांग का अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका है. हालांकि 2014 में सीएम पृथ्वीराज चव्हाण के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने नारायण राणे आयोग की सिफारिशों के आधार पर मराठों को 16 फीसदी आरक्षण देने के लिए एक अध्यादेश पेश किया था.

मराठा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट से झटका
इसके बाद 2018 में व्यापक विरोध के बावजूद महाराष्ट्र की राज्य सरकार ने मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया. बंबई उच्च न्यायालय ने इसे घटा कर नौकरियों में 13 फीसदी और शिक्षा में 12 फीसदी कर दिया. 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के इस कदम को रद्द कर दिया. मौजूदा विरोध की तेजी को देखते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की थी कि मध्य महाराष्ट्र क्षेत्र के मराठा अगर निजाम युग से कुनबी के रूप में वर्गीकृत करने वाला प्रमाण पत्र पेश कर दें तो वे ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण का लाभ उठा सकते हैं.

मराठों के बीच किस बात की नाराजगी
राज्य सरकार के कुनबी होने का प्रमाणपत्र मांगने से आंदोलनकारियों में हताश हैं. मराठा समूह का कहना है कि वह बगैर शर्त के आरक्षण चाहते थे. जारांगे-पाटिल और कुछ मराठा संगठनों का कहना है कि सितंबर 1948 में मध्य महाराष्ट्र में निजाम का शासन खत्म होने तक मराठों को कुनबी माना जाता था और वे प्रभावी रूप से ओबीसी थे. वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग और कुनबी समूह इस बात से डरे हुए हैं कि नए लोगों को आरक्षण मिलने से उनके अधिकार पर असर पड़ेगा.

वहीं ओबीसी समूहों ने कहा कि वे ‘किसी और के लिए आरक्षण का अपना हिस्सा छोड़ने’ को तैयार नहीं हैं. अगर सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देना चाहती है, तो उसे इसे खुली श्रेणी से देने पर विचार करना चाहिए. दूसरी तरफ कुनबियों की मांग है कि सभी मराठों को प्रमाणपत्र नहीं दिया जाए और मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए मौजूदा ओबीसी कोटा को नहीं छुआ जाए. दोनों ही समुदाय इसे लेकर सरकार से लिखित आश्वासन देने पर अड़े हुए हैं.

Latest Updates

Latest Movie News

Get In Touch

Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.

Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265

info@hamaramahanagar.net

Follow Us

© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups