मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री (former chief minister) और शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे (Leader Uddhav Thackeray) को फिर झटका दिया है. महाराष्ट्र विधान परिषद की सदस्य मनीषा कायन्डे ने उद्धव ठाकरे से नाता तोड़ लिया है. वह रविवार की शाम शिवेसना (शिंदे गुट) में औपचारिक रूप से शामिल हो जाएंगी. प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार की शाम को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के हाथों शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल होंगी. प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार को शाम पांच बजे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंद के सरकारी आवास वर्षा बंगेल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. उस कार्यक्रम में मनीषा कायन्डे औपचारिक रूप से पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगी.
बता दें कि फिलहाल शिवसेना उद्धव समूह के तत्वावधान में राज्य स्तर पर पदाधिकारियों के कैंप का आयोजन किया जा रहा है और यह शिविर वर्ली में रविवार की सुबह आयोजित हुआ और यह शाम बजे तक आयोजित किया जाएगा.
इस कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे पार्टी के समर्थकों और कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे और कार्यकर्ताओं को अगले कार्यक्रम की जानकारी देंगे. इस बीच मनीषा कायन्डे के पार्टी छोड़ने से उद्धव गुट के लिए बड़ा झटका माना रहा है.
मनीषा कायन्डे का ठाकरे गुट को छोड़ने का फैसला
ठाकरे गुट की एमएलसी मनीषा कायन्डे ने ठाकरे गुट को छोड़ने का फैसला किया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार उनके साथ मुंबई के तीन पार्षद भी शिंदे समूह में शामिल होंगे. इससे ठाकरे समूह का सिरदर्द बढ़ गया है.संजय राउत आज वर्ली में हैं. वर्ली में शिवसेना का कैंप चल रहा है. राउत जब इस कैंप में शामिल होने आए तो उनसे मनीषा कायन्डे की बगावत के बारे में पूछा गया तो संजय राउत ने कहा कि कौन जाएगा. इसका नाम पता नहीं है. यह कचरा इधर-उधर उड़ रहा है. अगर हवा पलटती है, तो यह हमारे दरवाजे पर वापस आती है. वे बहुत महान लोग नहीं हैं.
इस मौके पर ठाकरे गुट के विधायक सुनील प्रभु ने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि पार्टी इस पर मनन करेगी और इस पर निर्णय लेगी. जाने वालों का क्या हित था ? क्या इरादा था? इस बारे में बात में बात करेंगे.
भाजपा की सदस्य रह चुकी हैं मनीषा कायन्डे
बता दें कि मनीषा कायन्डे पार्टी को तेजतर्रार प्रवक्ता माना जाता रहा है. वह पेशा से प्रोफेसर का काम करती हैं, लेकिन वह हाल में पार्टी से नाराज चल रही थी और अब उन्होंने ठाकरे गुट को छोड़ने का फैसला किया है. इससे ठाकरे गुट के सामने फिर से मुश्किलें पैदा हो सकती है और उनके लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है. डॉ मनीषा कयान्डे कभी भाजपा में भी शामिल हुईं थी, लेकिन साल 2012 विधानपरिषद के चुनाव में बागी उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करने के बाद उन्हें पार्टी के गुस्से का सामना करना पड़ा था और पार्टी ने उन्हें निकाल दिया था.
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Sun, Jun 18 , 2023, 02:39 AM