Gujarat-Maharashtra Heavy Rainfall: बिपरजॉय तूफान का संकट गंभीर होता (getting serious) जा रहा है. जैसा अनुमान लगाया गया था उससे कहीं इसके कहर का डर अब दिखाई दे रहा है. इसका सबसे बड़ा संकेत यह है कि भारतीय मौसम विभाग (Indian Meteorological Department) ने पहले ऑरेंज अलर्ट जारी किया था. अब रेड अलर्ट (red alert) जारी किया है. अभी-अभी की जो खबर सामने आ रही है उसके मुताबिक मुंबई से बिपरजॉय का खतरा टलता (threat of Biperjoy from Mumbai) हुआ दिखाई दे रहा है. मुंबई से यह तूफान दूर खिसकता हुआ दिखाई दे रहा है. लेकिन गुजरात और महाराष्ट्र के कई इलाकों में जोरदार बरसात शुरू है.
यह तूफान तेज गति से आगे बढ़ रहा है. इससे संभावित खतरों का ध्यान रखते हुए केंद्र से राज्य सरकार तक पूरी तरह से सतर्क दिखाई दे रही है. गुजरात में NDRF की 17 टीम और SDRF की 12 टीम तैनात की गई है. साथ ही नौसेना के 4 जहाज स्टैंड बाइ में रखे गए हैं. सावधानी बरतते हुए समुद्र तटीय इलाकों से 74 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है. आकाश में घने बादल छाए हुए हैं और समुद्रतटीय इलाकों में मूसलाधार बरसात शुरू है.
गुजरात-महाराष्ट्र समेत 9 राज्यों को खतरा, कहर के असर से देश ऐसे निपटेगा
मौसम विभाग की ओर से दी गई जानकारियों के मुताबिक गुजरात और महाराष्ट्र समेत 9 राज्यों में बिपरजॉय का खतरा मंडरा रहा है. इन राज्यों में लक्षद्वीप, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, आसाम अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और राजस्थान शामिल हैं. शाम को जब बिपरजॉय जब गुजरात के तटीय इलाकों से टकराएगा तब इस चक्रवातीय तूफान की रफ्तार 150 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी. तूफान का खतरा कितना गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मौसम विभाग ने पहले ऑरेंज अलर्ट जारी किया था. अब रेड अलर्ट जारी किया गया है.
बिपरजॉय मुंबई और कोंकण तटीय इलाकों से आगे बढ़ा, महाराष्ट्र से खतरा टला?
ताजा जानकारियों के मुताबिक बिपरजॉय तूफान न सिर्फ मुंबई बल्कि कोंकण से आगे की ओर खिसक गया है. कोंकण क्षेत्र का समुद्री किनारा गोवा तक फैला हुआ है. इससे यह सवाल उठता है कि क्या महाराष्ट्र से बिपरजॉय का खतरा टल गया है? तो इसका जवाब है तूफान का असर कायम है. कोंकण के ज्यादातर समुद्री किनारों में ऊंची-ऊंची लहरें उठ रही हैं. गुहागर में बाग इलाके कछुआ संवर्धन करने के लिए इस्तेमाल में लाई गई जगहों पर समुद्री लहरें अंदर तक घुस गई हैं. इसके आस-पास के इलाकों में भी समंदर का पानी भर गया है. इससे कछुओं के अंडों के संवर्धन वाले ठिकाने तबाह हो गए हैं. कुछ झाड़ियां और छोटे पेड़-पौधे भी लहरों में समा गए हैं.
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Thu, Jun 15 , 2023, 03:17 AM