कचरे के निपटारा करने में मनपा फेल

Tue, May 16 , 2023, 07:52 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

- वायु प्रदूषण की शिकायतों में   237 फीसदी की हुई बढ़ोतरी
 - कचरा की शिकायत  में भी हुई 124 प्रतिशत हुई ।

मुंबई - मुंबई शहर बदलती जलवायु के साथ-साथ  मुंबई में कचरा की समस्या (garbage problem) कोरोना महमारी के बाद फिर एक बार बढ़ती जा रही है इसका खुलासा प्रजा की रिपोर्ट में सामने आया है। कचरा व्यवस्थापन की समस्या के कारण मुंबई में वायु प्रदूषण। गरमी का कहर और प्रदूषित पानी (polluted water) का स्रोत बढ़ना इस तरह की गंभीर  समस्याओं का सामना लोगो को करना पड़ रहा है। पिछले दस वर्षों में नागरिकों द्वारा वायु प्रदूषण की शिकायतों में 237 प्रतिशत और कचरे का निपटारा करने को लेकर आने वाली शिकायतों में  124 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। शहर के डंपिंग ग्राउंड में रोजाना पहुंचने वाले कचरे की मात्रा को कम करने का मनपा  का उद्देश्य भी सफल नहीं हो पाया है। प्रजा फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित  रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला है कि कोरोना काल में कचरा निकलने में आई कमी फिर एक बार अपने पुराने स्तर 7 हजार मैट्रिक टन से भी अधिक  पहुंच गई है। कचरा के  प्रमाण में वर्ष  2020 और वर्ष 2022 में  10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
बदलते वातावरण और कचरा का भी ठीक से व्यवस्थापन नहीं किए जाने से मुंबई की जनता को अधिक प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है जिसका असर यह हुआ है कि मनपा प्रशासन (municipal administration) के पास प्रदूषण को लेकर आने वाली शिकायतों में भी भारी बढ़ोत्तरी हुई है। 2013 से 2022 तक नागरिकों द्वारा वायु प्रदूषण की शिकायतों में 237 प्रतिशत  की बढ़ोत्तरी हुई है।  जबकि कचरा का निपटारा समय पर नहीं किए जाने को लेकर शिकायतों का प्रमाण 124 प्रतिशत पहुंच गया है। प्रजा फाउंडेशन ने पाया है कि  2022 में मुंबई  मनपा  स्वच्छ भारत अभियान योजना के तहत पांच सितारा रेटिंग प्राप्त करने में भी विफल रही है। मुंबई में 2018 से 2019 के दौरान कचरे की आई गिरावट फिर एक बार बढ़ गई है। जबकि मनपा ने बड़ी सोसायटियों को गिला कचरा और सूखा कचरा का अलग करना और उसका निपटारा करना  अनिवार्य  किया है। बावजूद इसके अब फिर एक बार मुंबई में कचरे का प्रमाण तेजी से बढ़ा है। मनपा सोसायटियों को कचरे का प्रमाण काम करने पर प्रॉपर्टी टैक्स जैसे छूट देने लगी थी फिर भी मनपा का
उठाया  गया कदम नाकामयाब साबित होता दिखाई दे  रहा है। प्रजा के आँकड़ों के अनुसार 2020 में प्रतिदिन 6904 मीट्रिक टन कचरा डंपिंग में जाता था जो कि 2022 में प्रतिदिन 7582 मीट्रिक टन  पहुँचाया गया है।  यानी प्रजा फाउंडेशन के अनुसार कचरे की मात्रा में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।जिसको लेकर मनपा को जवाबदार ठहराया जा रहा है।  वर्ष 2022 में कचरा पैदा करने वाली 2825 हाउसिंग सोसायटियों में से 1401 यानी 50 प्रतिशत सोसायटियों ने कचरा  पैदा करने वाली जगह पर कचरा का निपटारा अनहि किया जिससे  प्रदूषण में वृद्धि हुई है।मीठी नदी में मल के माध्यम से बहुत अधिक जीवाणु प्रदूषण हो रहा  है। जो की घातक साबित हो रहा है।  मनपा मीठी नदी को भी साफ़ सुथरा करने पर हजारो करोड़ खर्च किया है जिसका पैसा भी नदी में बह जाने का आरोप लगाया है।
मुंबई शहर तेजी से जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ बढ़ते उष्णता से लोग परेशान हो रहे है. लोगो को  गर्मी तेज हवाओ और की प्रदूषित जल स्रोतों जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़  रहा है। 2018 से 2022 के दरम्यान पिछले पांच वर्षों में  वायु गुणवत्ता का सूचकांक 125 दर्ज किया गया। प्रजा के संस्थापक निताई मेहता ने कहा कि नगर  मनपा कचरे की समस्या और धुल प्रदूषण जैसी समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। मुंबई क्लाइमेट एक्शन प्लान मनपा बनाया जिससे शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके लेकिन उपायों को लागू नहीं किया जा रहा है।

कचरे को डंपिंग तक पहुंचाने के लिए मनपा  हर साल कर रही है  883 करोड़ रुपये खर्च
प्रजा की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मनपा कचरे को डंपिंग ग्राउंड (dumping ground)  तक पहुंचाने के लिए हर साल 883 करोड़ रुपये खर्च कर रही है.कचरे को उत्पन्न होने वाले जगह पर ही खत्म किया जाना चाहिए इसको लेकर मनपा को ठोस कदम उठाने की जरूरत बताया है। कचरा को उत्पन्न होने वाले स्थान पर खत्म किया गया तो कचरा को डंपिंग ग्राउंड तक ले जाने का का खर्च तो बचेगा ही साथ ही   प्रदूषण को भी कम कर सकता है। डंपिंग ग्राउंड तक कचरा को ले जाने वाले ट्रक भी प्रदूषण फैलाते है।

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