पर्यटन स्थल घोषित हुआ बाणगंगा
दिनेश सिंह
मुंबई। बाणगंगा तालाब (Banganga Pond) हिंदुओं के लिए मुंबई में एक महत्वपूर्ण पूजा स्थल है। महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक (ancient monument), पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1960 के तहत इस तालाब को महाराष्ट्र सरकार द्वारा संरक्षित स्मारक के रूप में रखा गया है।बाणगंगा तालाब का ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राचीन महत्व को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने 15 नवंबर 12022 को बी' श्रेणी का पर्यटन स्थल घोषित किया है। बाण गंगा की मुख्यतः देखरेख जी एस बी ट्रस्ट और मुंबई मनपा मिलकर उसकी देखभाल का काम करते थे। बाण गंगा अब पर्यटन स्थल घोषित होने के बाद मनपा तीन चरणों में पूरे परिसर का विकास करने का निणर्य लिया है जिस पर लगभग 12 करोड़ रुपया (12 crore rupees) खर्च किया जाएगा।
बाणगंगा तालाब माराबार हिल के पास वालकेश्वर में स्थित है। बाणगंगा एक आयताकार में बना हुआ तालाब है. ऐसा माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति 12 वीं शताब्दी की है। इस जगह को 'मुंबई में वाराणसी' के रूप में देखा जाता है और इतिहासकारों का कहना है कि इस तालाब निर्माण सिल्हारा राजवंश के द्वारा बनाया गया था जिसे रामायण से जोड़कर देखा जाता है। इस तालाब के चारों ओर मंदिर, समाधि, धर्मशाला, मठ हैं यह स्थान राष्ट्रीय महत्व का एक सांस्कृतिक केंद्र है। तालाब पास वेंकटेश बालाजी मंदिर, सिद्धेश्वर शंकर मंदिर, राम मंदिर, बजरंग अखाड़ा, वाल्केश्वर मंदिर आदि जैसे प्रसिद्ध मंदिर हैं। प्राचीन काल से ही बाणगंगा झील का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होने के कारण इस स्थान पर धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस तालाब के प्राचीन महत्व को देखते हुए देश भर के पर्यटक तालाब को देखने के लिए आते है। लाखो की संख्या में लोग दर्शन हर साल करते है। यह स्थान राज्य हेरिटेज विभाग द्वारा एक संरक्षित स्थल है और वर्तमान में एक ट्रस्ट द्वारा प्रबंधित किया जाता है। ऐतिहासिक महत्व के बावजूद यह तालाब कई दशकों से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़ा हुआ था और इसके जीर्णोद्धार की योजना को कई बार ठंडे बस्ते में डाल दी गई थी। राज्य के पर्यटन मंत्री और स्थानीय विधायक मंगलप्रभात लोढ़ा ने इस परिसर का विकास करने का निर्देश दिया। मनपा अब पूरे बाणगंगा परिक्षेत्र और आस पास के जगहों का तीन चरणों में विकास करने का निणर्य लिया है। बाणगंगा को आने जाने वाले रास्तो को विकसित किया जायेगा विकास में बाधा बन रहे लगभग झोपड़ा धारको को घर देकर विकसित किया जाएगा। तालाब के पास लगभग 11 झोपड़े है और सड़क को चौड़ा करने में बाधा बनने वाले 34 झोपडो सहित अन्य 76 झोपड़ा धारको को दुसरे जगह घर देकर इस पूरे परिसर का विकास किया जाएगा। पूरे परिसर का तीन चरणों में विकास किया जाएगा जिस पर 12 करोड़ रुपया खर्च किया जाएगा। बाणगंगा तालाब और उसके आसपास गौड़ सारस्वत हैं। यह निजी तौर पर ब्राह्मण मंदिर ट्रस्ट के स्वामित्व में है।मनपा बाणगंगा के जीर्ण अवस्था में सुधार करते हुए बैठने की जगह, एक स्केटिंग रिंक के साथ-साथ आरती करने के लिए एक एम्फीथिएटर लगाया जाएगा। बाणगंगा सौन्दरीयकरण (Banganga beautification) इस साल के अंत तक पूरा करने की योजना मनपा प्रशासन की है इस तरह की जानकारी मनपा सहायक आयुक्त किरण दिघावकर ने दी। उन्होंने बताया पूरी जगह को 'भक्ति पथ' के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि तालाब के पानी का वैज्ञानिक तरीके से रखरखाव किया जाएगा जिससे उसमें रहने वाले जलीय जीवन को संरक्षित किया जा सके। बाणगंगा तालाब और उसके आसपास गौड़ सारस्वत हैं। यह निजी तौर पर ब्राह्मण मंदिर ट्रस्ट के स्वामित्व में है।
➢ चरण 1
1. तालाब में पत्थरों की सीढि़यों की मरम्मत/सुधार।
2. तालाब क्षेत्र में लैम्पपोस्ट का पुनरुद्धार।
3. तालाब में आकर्षक विद्युत प्रकाश/लेजर शो का प्रदर्शन।
4. तालाब के चारों ओर 'भक्ति मार्ग' के रूप में वृत्ताकार सड़क का विकास
5. बाणगंगा तालाब की ओर जाने वाली स्वीकृत सड़क लाइन के साथ 18.30 मीटर चौड़ी
'मिसिंग लिंक' का विकास करना।
6. बाणगंगा तालाब की सीढ़ियों पर से अतिक्रमण हटाना।
➢ चरण 2
1.तालाब के आस पास की इमारतों के अग्रभागों की एक समान पेंटिंग।
2. तालाब से सटी इमारतों की दीवारों पर भक्ति चित्र और मूर्तियां बनाना।
3. रामकुंड इस ऐतिहासिक और पवित्र स्थान का पुनरुद्धार करना ।
4. तालाब परिसर क्षेत्र के मंदिरों का एक व्यापक विकास योजना के तहत विकास किया जाएगा जिसका खाका तैयार किया जा रहा है।
5. तालाब की ओर आने जाने वाली सभी तीन पत्थर की सीढ़ियाँ और सड़क का
सुधार जाएगा ।
➢ चरण 3
1. बाणगंगा तालाब और अरब सागर के बीच एक विस्तृत मार्ग बनाया जायेगा जिससे सीधे समुद्र की ओर जा सके ।
इस परिसर की झोपड़ पट्टी को हटाकर वाराणसी क्षेत्र की तरह गार्डेन बैठक व्यवस्था सहित आस पास के परिसर को विकास कर और सार्वजनिक स्थान बनाना है।
आने जाने वाली सड़क को 18.30 मीटर चौड़ा बनाया जायेगा जिससे लोगो के आवागमन परेशानी नहीं हो और परिसर दूर से दिखाई दे सके। आस पास के झोपड़ा धारको को आस पास में घर देकर पुनर्विकसित किया जायेगा। रहिवसियो को बेघर नहीं होने दिया जाएगा।
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Thu, Mar 30 , 2023, 07:35 AM