जानिए उद्धव ठाकरे के लिए 2024 के चुनाव में कितना नुकसान
मुंबई: शिवसेना (Uddhav Balasaheb Thackeray) के वरिष्ठ नेता सुभाष देसाई के बेटे भूषण देसाई सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए। इसे उद्धव ठाकरे खेमे के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के प्रमुख सहयोगी देसाई (80) ने इस घटनाक्रम को चिंताजनक बताते हुए कहा कि उनके बेटे के कदम से पार्टी और ठाकरे परिवार के प्रति उनकी वफादारी में कोई बदलाव नहीं आएगा। देसाई ने सत्ताधारी संगठन में अपने बेटे के शामिल होने को तवज्जो नहीं देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि भूषण देसाई की राजनीति या शिवसेना (UBT) में कोई भूमिका नहीं थी। कुछ दिन पहले निर्वाचन आयोग ने हाल में पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न 'धनुष-बाण' शिंदे नीत खेमे को आवंटित किया था। सुभाष देसाई (Subhash Desai) दिवंगत बालासाहेब ठाकरे और उनके बेटे और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे परिवार के पांच दशकों से अधिक समय से करीबी विश्वासपात्र हैं।
भूषण देसाई को मुख्यमंत्री शिंदे की मौजूदगी में शिवसेना में शामिल किया गया। सुभाष देसाई के बेटे के शिंदे खेमे में जाने के बाद अब राज्य में सियासी अटकलों का दौर शुरू हो चुका है। कयास लगाये जा रहे हैं कि भविष्य में पूर्व मंत्री सुभाष देसाई भी शिंदे गुट में जा सकते हैं। हालाँकि, इन अटकलों को खुद सुभाष देसाई ने ही ख़ारिज कर दिया है। यह भी कहा जा रहा है कि ईडी की कार्रवाई से बचने के लिए भूषण देसाई ने यह कदम उठाया है।
उद्धव ठाकरे के लिए कितना नुकसान
भूषण देसाई का इस मुसीबत के समय में विरोधी खेमे के साथ हाथ मिलाना उद्धव ठाकरे के लिए कितना नुकसानदेह हो सकता है। इसको लेकर भी चर्चाएं शुरू हैं। इस मुद्दे पर महाराष्ट्र की राजनीति को काफी करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार सचिन परब ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन को बताया कि भूषण देसाई के जाने से उद्धव ठाकरे को कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन एक मनोवैज्ञानिक दबाव जरूर पड़ेगा। महाराष्ट्र की सियासत में सब जानते हैं कि एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई के बीच संबंध कभी बहुत ज्यादा अच्छे नहीं रहे हैं। ऐसे में नाक के नीचे से बेटे को लेकर शिंदे खेमे के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। जहां भूषण के विधायक बनने की बात है तो वो कभी विधानसभा नहीं जाना चाहते थे। हालांकि, विधान परिषद में वो जाना चाहते थे। भूषण इस बात को जानते थे कि अब उद्धव ठाकरे के साथ रहकर विधान परिषद का रास्ता आसान नहीं हैं। शायद इसीलिए उन्होंने यह बड़ा फैसला लिया है।
इस मामले पर सुभाष देसाई ने कहा कि भूषण का शिवसेना या फिर किसी भी राजनीतिक दल में कोई काम नहीं है। इसलिए उनका किसी पार्टी में शामिल होने से शिवसेना पर कोई भी असर नहीं होने वाला है। यह बात सच है कि भूषण देसाई का कोई खास राजनीतिक वजूद नहीं है। उन्हें किसी राजनीतिक गतिविधि में भी नोटिस नहीं किया गया है? ऐसे में वो उद्धव ठाकरे के लिए फ़िलहाल कोई बड़ा खतरा नहीं हैं। हालांकि, इस बात की संभावना है कि शिंदे गुट आगामी चुनाव में उन्हें विधानसभा चुनाव में उतार सकता है। वैसे भी भूषण देसाई के पिता सुभाष देसाई की उम्र 80 साल की हो चुकी है। ऐसे में उनका राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहना संभव नहीं है। हालांकि, देसाई पहले भी कह चुके वो आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।
शिंदे से प्रभावित था इसलिए पार्टी ज्वाइन की
भूषण देसाई ने कहा कि वह सीएम शिंदे की कार्यशैली से प्रभावित थे और अपने पिता के साथ चर्चा करने के बाद, उन्होंने पार्टी (शिवसेना) में शामिल होने का फैसला किया। उन्होंने कहा, मैंने शिवसेना में शामिल होने का मन बना लिया था। जो दिवंगत हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों पर चलती है। अब पार्टी मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी, मैं उसे निभाऊंगा। शिंदे और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने उनके कदम के लिए भूषण देसाई की सराहना की।
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Tue, Mar 14 , 2023, 12:59 PM