केईएम अस्पताल की रिसर्च से हुआ खुलासा
मुंबईः किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल (KEM) के एक रिसर्च से खुलासा हुआ है कि कम उम्र की महिलाएं जेंडर आधारित हिंसा (GBV) की सबसे ज्यादा शिकार रही हैं। अस्पताल में 1467 महिलाओं की ऑटोप्सीज़ (postmortems) की गई, जिसमें से 12.3 प्रतिशत मामलों में जेंडर आधारित हिंसा का खुलासा हुआ। महिला एवं बाल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा (Mangal Prabhat Lodha) ने केईएम अस्पताल के डीन व एकेडमिक डीन को एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है। यह समिति जेंडर आधारित हिंसा को रोकने के लिए ठोस योजना बनाएगी।
दरअसल महिलाएं अक्सर घरेलू हिंसा (domestic violence) की शिकार होती हैं। ज्यादातर केसेस में आरोप पति या परिवार के करीबी होते हैं। हालांकि उचित रिपोर्टिंग के अभाव में इसकी रिपोर्ट नहीं हो पाती। फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग ने ब्लूमबर्ग फिलैंथ्रोपीज के डेटा फॉर हेल्थ इनिशिएटिव के सहयोग से जेंडर आधारित हिंसा के कारण होने वाली मौतों के अनुपात और पैटर्न को समझने के लिए ऑटोप्सी-आधारित अध्ययन रिपोर्ट तैयार किया।
12.3 प्रतिशत महिलाएं हिंसा की शिकार
1467 महिलाओं की ऑटोप्सीज़ की गई। इसमें से 12.3 प्रतिशत महिलाएं जेंडर आधारित हिंसा की शिकार बनीं। लगभग 67 प्रतिशत पीड़िता विवाहित थीं और 75 फीसदी महिलाओं की उम्र 15 से 44 साल के बीच थी। लगभग 99 फीसदी मौत घर में या निजी जगहों पर हुई। लगभग 47 प्रतिशत महिलाओं ने आत्महत्या किया, जबकि 6 प्रतिशत होमिसाइड के केस थे। लगभग 58 फीसदी मौत आग में झुलसने से, 20 फीसदी मामले हैंगिंग के, 16 फीसदी मामले जहर खाने के, 3 फीसदी मामले ऊंचाई से कूदने के और 3 फीसदी मामले मर्डर के थे।
कलह और प्रेम संबध
लगभग 87 फीसदी मौत के मुख्य कारण वैवाहिक विवाद और पारिवारिक मुद्दे थे, जबकि 13 फीसदी मौत असफल प्रेम संबंधों से हुई। लगभग 61 प्रतिशत मौत के लिए महिलाओं के पार्टनर अपराधी थे, जबकि 39 प्रतिशत मामले में परिवार के सदस्य संलिप्त पाए गए।
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Tue, Mar 14 , 2023, 12:48 PM