बेहद सक्रिय रहे भगत सिंह कोश्यारी, आघाड़ी को थे नापसंद
मुंबई। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) का कार्यकाल भले ही विवादों में रहा, लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान उनका आम लोगों से खास जुड़ाव रहा। उन्होंने आम लोगों के लिए राजभवन (Raj Bhavan) के दरवाजे खोल दिए। कोरोना काल के दौरान जब सारी गतिविधियां सीमित थी, लेकिन राजभवन में लगातार कार्यक्रम होते रहे। कोरोना काल में अच्छा काम करने वाले लोगों को उन्होंने सम्मानित किया। इस दौरान कुछ विवाद भी सामने आए, लेकिन राज्यपाल ने अपना काम जारी रखा। राजभवन के नजदीक उफान मारते समुद्र का खूबसूरत नजारा दिखाई पड़ता है, लेकिन राज्यपाल का मन पहाड़ों में लगा रहता था। वे अक्सर निजी बातचीत में अपने गृह प्रदेश उत्तराखंड जाने की बात करते थे। राज्यपाल को वर्ष 2019 में सुबह सवेरे मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) और उपमुख्यमंत्री के रूप में अजित पवार (Ajit Pawar) की शपथ दिलाने के लिए याद किया जाएगा। इस शपथ ग्रहण को लेकर हर कोई आश्चर्य में पड़ गया था। हालांकि महज 48 घंटों में यह सरकार गिर गई।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी राजभवन से बाहर भी खूब निकले। कोरोना के पहले और बाद में उन्होंने राज्य के लगभग हर जिले का दौरा किया। जहां तक कि वे शिवनेरी किले पर पैदल ही चढ़ गए। महाविकास आघाड़ी सरकार के दौरान राज्यपाल और सरकार के बीच लगातार अनबन बनी रही। सबसे बड़ा मसला विधान परिषद में 12 विधायकों की नियुक्ति का रहा, जिसे उन्होंने तकरीबन दो साल तक लटकाए रखा। यह मामला अदालत की चौखट तक पहुंचा। विधानसभा अध्यक्ष चुनाव की अनुमति नहीं देकर राज्यपाल ने महाविकास आघाड़ी को नाराज कर दिया। फिर राज्यपाल की तरफ से कुछ ऐसे बयान सामने आए, जिससे विवाद बढ़ गया और विपक्ष ने उन्हें हटाने की मुहिम शुरू कर दी। रविवार सुबह जब खबर आई कि कोश्यारी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है और राज्य के नए राज्यपाल रमेश बैस होंगे तो एक तरह से विपक्ष दलों की मुराद पूरी हो गई। महाविकास आघाड़ी के घटक दलों ने राज्यपाल के इस्तीफे का स्वागत किया है। पिंपरी चिंचवड में राष्ट्रवादी कांग्रेस की यूथ ब्रिगेड ने राज्यपाल को हटाए जाने का जश्न मनाया और मिठाई बांटी।
अच्छा फैसला जो पहले होना चाहिए था: शरद पवार
राज्यपाल का इस्तीफा मंजूर होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र को छुटकारा मिल गया। यह अच्छा फैसला है, जो पहले ही होना चाहिए था। महाराष्ट्र के इतिहास में कभी भी ऐसे व्यक्ति की राज्यपाल के रूप में नियुक्ति नहीं हुई थी। यह हमने देखा। केंद्र सरकार और राष्ट्रपति ने संतोषजनक काम किया। उन्होंने कहा कि संविधान के खिलाफ कुछ हुआ है तो उसकी जांच होनी चाहिए।
नए राज्यपाल की नियुक्ति स्वागतयोग्य: पाटिल
राकांपा प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल (Jayant Patil) ने भगत सिंह कोश्यारी के इस्तीफे का स्वागत करते उम्मीद जताई कि नए राज्यपाल भाजपा की कठपुतली नहीं होंगे। पाटिल ने इस घटनाक्रम पर ट्वीट किया कि मुझे उम्मीद है कि नए राज्यपाल पूर्ववर्ती (कोश्यारी) की तरह भाजपा की कठपुतली नहीं होंगे। हम महाराष्ट्र का राज्यपाल बदलने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं, क्योंकि महाविकास आघाड़ी की यह मांग थी। उन्होंने कहा कि पिछले राज्यपाल ने राज्य के सामाजिक आदर्शों के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी करने के साथ-साथ वर्तमान असंवैधानिक राज्य सरकार के शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन करके अपने पद के कद को कम किया था। हम महाराष्ट्र के नए राज्यपाल की नियुक्ति की खबर का स्वागत करते हैं।
नए राज्यपाल रखें पद की गरिमा: पटोले
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले (Nana Patole) ने कहा कि कोश्यारी को हटाया नहीं गया, बल्कि सम्मान के साथ उनका इस्तीफा मंजूर कर महाराष्ट्र का अपमान किया गया। कोश्यारी ने महाराष्ट्र के महापुरुषों का अपमान किया। उनके किए की सजा भाजपा को भुगतनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि विधान परिषद में विधायकों की नियुक्ति, विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव जैसे अनेक मामलों में उन्होंने निष्पक्षता से काम नहीं करते हुए भाजपा के एजेंट के रूप में काम किया। केंद्र के इशारे पर रोबोट की तरह काम करने वाले कोश्यारी जैसा राज्यपाल महाराष्ट्र ने पहले कभी नहीं देखा था। उन्होंने उम्मीद जताई कि रमेश बैस निष्पक्ष होकर काम करते हुए राज्यपाल पद की गरिमा को फिर से कायम करेंगे।
महाराष्ट्र के लिए बड़ी जीत: आदित्य ठाकरे
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधायक और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने भी कोश्यारी के इस्तीफे का स्वागत किया। उन्होंने ट्वीट किया कि महाराष्ट्र के लिए बड़ी जीत। महाराष्ट्र विरोधी राज्यपाल का इस्तीफा आखिरकार स्वीकार कर लिया गया। आदित्य ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले, हमारे संविधान, विधानसभा और लोकतांत्रिक आदर्शों का लगातार अपमान करने वाले को राज्यपाल के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
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Sun, Feb 12 , 2023, 09:15 AM