नयी दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने मंगलवार को संसद (Parliament) में कहा कि कांग्रेस (congress) ने तुष्टिकरण की नीति के तहत वंदे मातरम् (Vande Mataram) को दो हिस्सों में नहीं बांटा होता तो देश का बंटवारा भी नहीं होता।
श्री शाह ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 साल के मौके पर विशेष चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस पर शुरू से ही वंदे मातरम् का विरोध करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब वंदे मातरम् के 50 साल पूरे हुए तो वंदे मातरम् को दो हिस्सों में बांटा गया। वहीं से तुष्टिकरण की शुरुआत हुई और देश का बंटवारा हुआ। उन्होंने कहा, "मेरा और बहुत से लोगों का मानना है कि तुष्टिकरण नहीं होता तो देश का बंटवारा नहीं होता।"
कांग्रेस और उसके शीर्ष नेतृत्व पर वंदे मातरम् के विरोध का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में संसद में वंदे मातरम् का गान बंद कर दिया गया था, बावजूद इसके कि संविधान सभा ने इसे राष्ट्रगीत का दर्जा दिया था। उन्होंने कहा कि जब वंदे मातरम् के 100 साल हुए तो देश में आपातकाल लगा था। गृह मंत्री ने कहा, "कल भी जब वंदे मातरम् के 150 साल के मौके पर लोकसभा में चर्चा हुई तो कांग्रेस की एक नेत्री ने कहा - अभी इस समय वंदे मातरम् की चर्चा की जरूरत नहीं है।"
इस पर कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने आपत्ति की और उनसे सदन को पूरी बात बताने की मांग की।
श्री शाह ने कहा कि जिस गीत को महात्मा गांधी ने देश की आत्मा से जुड़ा गीत बताया था "उसका टुकड़ा करने का काम कांग्रेस पार्टी ने किया"। उन्होंने आरोप लगाया कि 1992 में जब लोकसभा में दोबारा वंदे मातरम् का गान शुरू हुआ तो 'इंडिया' गुट के कई सदस्यों ने उसे गाने से इनकार कर दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि जब वंदे मातरम् के गायन का समय होता है तो कांग्रेस के कई सदस्य सदन से बाहर चले जाते हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी के सभी सदस्य खड़े होकर पूरे सम्मान के साथ वंदे मातरम् का गायन करते हैं।
इस पर विपक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए पूछा कि वह प्रमाण दें कि कौन वंदे मातरम् के गायन के समय खड़ा नहीं होता।
वंदे मातरम् के महत्व को रेखांकित करते हुए श्री शाह ने कहा कि उस जमाने में इस नारे ने देश की आजादी में योगदान दिया था, अब अमृतकाल में यह देश को विकसित और महान बनाने का काम करेगा।
गृह मंत्री ने सोमवार को लोकसभा में हुई चर्चा का हवाला देते हुए कहा कि कुछ लोग वंदे मातरम् पर चर्चा को बंगाल चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। यह सही है कि इसकी रचना बंगाल में हुई थी और इसके रचयिता बंकिमचंद्र चटर्जी का जन्म भी बंगाल में हुआ था लेकिन यह गीत बंगाल तक सीमित नहीं रहा, यह कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैला है। आजादी की लड़ाई के समय जब क्रांतिकारियों की गुप्त बैठकें होती थी तो उनमें भी इसका गान होता था। आज भी जब कोई जवान सरहद पर अपना सर्वोच्च बलिदान देता है तो उसके मुंह पर वंदे मातरम् होता है।
संसद में राष्ट्रगीत पर चर्चा की जरूरत पर बल देते हुए श्री शाह ने कहा कि इस चर्चा से कई पीढ़ियां इसके महत्व को समझेंगी। उन्होंने विपक्ष के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सरकार वंदे मातरम् पर चर्चा करा रही है। उन्होंने कहा, "मुद्दों पर चर्चा से कोई नहीं डरता। संसद (की कार्यवाही) का बहिष्कार हम नहीं करते। संसद चलने दें तो सभी विषयों पर चर्चा हो सकती है।" उन्होंने विपक्ष पर वंदे मातरम् पर चर्चा को टालने का आरोप लगाया।
उन्होंने भारत के राष्ट्रवाद को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद बताते हुए कहा कि यह दुनिया की एकमात्र देश है जिसकी सीमा किसी अधिनियम या समझौते ने नहीं, संस्कृति ने तय की है। वंदे मातरम् ने उसी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचार को पुनर्जीवित करने का काम किया है।



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Tue, Dec 09 , 2025, 02:55 PM