Karwa Chauth 2025 Moonrise Timing : सुहागिन महिलाएं आज यानि 10 अक्टूबर को मना रही हैं करवा चौथ! जानिए पूजा करने का शुभ समय और इसकी कहानी 

Fri, Oct 10 , 2025, 02:29 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Karwa Chauth 2025 Moonrise Timing Live:  इस वर्ष, करवा चौथ आज 10 अक्टूबर, 2025 को है। करवा चौथ पूजा करने का सबसे शुभ समय प्रदोष काल है। इस वर्ष, शाम की रस्में पारंपरिक रूप से शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे के बीच मनाई जाएँगी। उदयातिथि के आधार पर व्रत 10 अक्टूबर को ही रखा जाएगा। प्रेम और भक्ति का प्रतीक हिंदू त्योहार (symbolizing love and devotion) करवा चौथ मुख्य रूप से उत्तरी भारत में मनाया जाता है। यह प्रतिवर्ष कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्थी (Krishna Chaturthi) को मनाया जाता है। इस त्योहार पर, विवाहित महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक व्रत रखती हैं और अपने पति के स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करती हैं। वे रात में चाँद दिखने तक इंतज़ार करती हैं और अपने जीवनसाथी के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत तोड़ती हैं।

द्रिक पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि (Krishna Paksha Chaturthi Tithi) 9 अक्टूबर को रात 10:54 बजे शुरू होकर 10 अक्टूबर को शाम 7:38 बजे समाप्त होगी। करवा चौथ पूजा करने का सबसे शुभ समय प्रदोष काल होता है। इस वर्ष, शाम की रस्में पारंपरिक रूप से शाम 5:57 बजे से शाम 7:11 बजे के बीच मनाई जाएँगी।

 एक स्वस्थ सरगी में क्या खाएं ?
सुबह का भोजन, जिसे सरगी कहा जाता है, पूरे दिन के लिए आपकी ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत होता है। निरंतर ऊर्जा बनाए रखने के लिए ओट्स, साबूदाना, पोहा या साबुत गेहूं के पराठे जैसे जटिल कार्बोहाइड्रेट शामिल करें। मांसपेशियों की मजबूती बनाए रखने के लिए पनीर, दूध, दही या सूखे मेवे जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें। तरबूज, पपीता और संतरे जैसे हाइड्रेटिंग फल निर्जलीकरण को रोकने में मदद कर सकते हैं। नमकीन, मसालेदार या तली हुई चीज़ों से बचें, क्योंकि ये प्यास बढ़ा सकती हैं और उपवास को और मुश्किल बना सकती हैं।

स्वस्थ तरीके से उपवास कैसे करें ?
चूँकि पारंपरिक उपवास में पूरे दिन पानी से परहेज करना शामिल है, इसलिए सूर्योदय से पहले अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहना ज़रूरी है। सुबह जल्दी उठकर कम से कम 2-3 गिलास पानी पीने का लक्ष्य रखें। इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने में मदद के लिए आप नारियल पानी या छाछ भी शामिल कर सकते हैं। चाय और कॉफ़ी से बचना सबसे अच्छा है, क्योंकि कैफीन दिन में बाद में निर्जलीकरण और एसिडिटी का कारण बन सकता है।

 करवा चौथ का व्रत समाप्त करने की चरण-दर-चरण प्रक्रिया
करवा चौथ पर, चंद्रोदय के बाद व्रत तोड़ा जाता है। महिलाएं सबसे पहले छलनी से चंद्रमा का दर्शन करती हैं, जो सकारात्मकता और भक्ति का प्रतीक है। फिर वे कृतज्ञता के भाव से चंद्रमा को अर्घ्य (जल) अर्पित करती हैं। इसके बाद, पति अपनी पत्नी को पानी का पहला घूंट पिलाकर और मिठाई खिलाकर व्रत समाप्त करता है। इसके बाद महिलाएं खाना-पीना शुरू करती हैं।

 क्या करें और क्या न करें
1. सरगी न छोड़ें:
यह आपको बिना भोजन या पानी के पूरा दिन गुजारने में मदद करती है।
2. खुद पर ज़्यादा ज़ोर न डालें: अपनी ऊर्जा बचाएँ और अपनी ताकत बनाए रखने के लिए ज़्यादा मेहनत करने से बचें।
3. नकारात्मक विचारों से बचें: इस आध्यात्मिक अनुष्ठान के दौरान आनंदित और कृतज्ञ रहें।
4. जल्दी न खाएँ-पिएँ: व्रत समाप्त करने के लिए चाँद दिखने तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करें।
5. बहस या तनाव से बचें: दिन को शांतिपूर्ण और प्रेम व भक्ति से भरा रखें।

करवा चौथ पर पढ़ी जाने वाली रानी वीरवती की कथा
एक समय की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी. वह बेटी अपने भाइयों की एकमात्र बहन थी, इसलिए सभी भाई उसे बहुत प्यार करते थे. एक बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को साहूकार की पत्नी, उसकी सभी बहुएं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा. रात के समय जब साहूकार के सभी बेटे भोजन करने के लिए बैठे, तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन करने का आग्रह किया. इस पर बहन ने उत्तर दिया कि आज उसने भी करवा चौथ का व्रत रखा है और वह चंद्रमा के दर्शन के बाद ही कुछ खा सकती है. चांद निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही अन्न और जल ग्रहण करने की अनुमति है.

साहूकार के पुत्र अपनी बहन के प्रति गहरी स्नेहभावना रखते थे और जब उन्होंने अपनी बहन के भूख से परेशान चेहरे को देखा, तो उन्हें अत्यंत दुःख हुआ. अपनी बहन की इस स्थिति को देखकर उनके मन में यह विचार आया कि यदि चंद्रमा शीघ्रता से प्रकट हो जाए, तो उनकी बहन व्रत का पारण कर सकेगी. इसलिए साहूकार के पुत्र नगर के बाहर गए और वहां एक वृक्ष पर चढ़कर अग्नि प्रज्वलित की. घर लौटकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चंद्रमा प्रकट हो गया है. अब तुम अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण कर सकती हो. इसलिए साहूकार के पुत्र नगर के बाहर गए और वहां एक वृक्ष पर चढ़कर अग्नि प्रज्वलित की. घर लौटकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चंद्रमा प्रकट हो गया है. अब तुम अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण कर सकती हो.

भाईयों की बात को अनसुना करते हुए बहन ने नकली चांद को अर्घ्य देकर अन्न जल ग्रहण कर लिया. इस प्रकार, बहन का करवा चौथ का व्रत भंग होने के कारण भगवान श्री गणेश साहूकार की पुत्री से अप्रसन्न हो गए. गणेश जी की नाराजगी के फलस्वरूप उस युवती का पति शीघ्र ही बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी चिकित्सा में खर्च हो गया.

साहूकार की पुत्री को जब अपने किए गए अपराधों का ज्ञान हुआ, तो उसे गहरा पछतावा हुआ. उसने भगवान गणेश से क्षमा की याचना की और विधिपूर्वक चतुर्थी का व्रत पुनः आरंभ किया. उसने विधि अनुसार पूजा करके चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किया और अपना उपवास पूर्ण किया, साथ ही वहां उपस्थित सभी व्यक्तियों का आशीर्वाद लिया. साहूकार की निष्कलंक भक्ति और श्रद्धा को देखकर भगवान गणेश उस पर प्रसन्न हुए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया. इसके साथ ही, उसे सभी प्रकार की बीमारियों से मुक्त कर दिया और धन, संपत्ति तथा वैभव से समृद्ध किया.

करवा चौथ माता की जय

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