लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद (Chief Minister Keshav Prasad) ने इंडियन रोड्स कांग्रेस (Indian Roads Congress) का नाम बदलने को कहा है। उन्होंने कहा कि यह नाम थोड़ा अटपटा लग रहा है, इसलिए इसकी जगह इसका नाम भारतीय सड़क संघ किया जाए तो बेहतर होगा। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में भारतीय रोड कांग्रेस व उत्तर प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण द्वारा आयोजित फुल डेप्थ रिक्लेमेशन एवं ग्रीन टेक्नोलॉजी सेमिनार को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि ग्रामीण सड़कों का उन्नयन राष्ट्र निर्माण की आधारशिला हैं। पीएमजीएसवाई (PMGSY) में उत्तर प्रदेश की अग्रणी भूमिका रही है।ग्रामीण मार्गों के निर्माण में एफडीआर तकनीक वरदान साबित हो रही हैं। पीएमजीएसवाई की सड़कों में एफडीआर तकनीक अपनाने वाला उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सबसे बड़ी जरूरत रोड कनेक्टिविटी है। एफडीआर तकनीक ग्रामीणों के लिए हाईवे साबित हो रही हैं।समग्र विकास के लिए रोड कनेक्टिविटी सर्वोच्च आवश्यकता है। गांव के विकास में पीएमजीएसवाई की सड़कों का व्यापक प्रभाव रहा है।एफडीआर तकनीक में कम लागत में उच्च गुणवत्ता व ज्यादा टिकाऊ सड़के बन रही हैं।गांवो में रोडनेट वर्क बढ़ने से किसानों बहुत फायदा हुआ है, ग्रामीण उद्यम भी बढ़े हैं। उन्होने कहा कि भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई (late Atal Bihari Vajpayee) ने सन् 2000 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) की शुरुआत की थी, इस योजना में नए आयाम स्थापित किए गये हैं। गांवो की रोड कनेक्टिविटी बहुत तेजी के साथ बढ़ी है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि देश व प्रदेश में रोड नेटवर्क, रेल मार्ग, हवाई यातायात व जल मार्ग के क्षेत्र में डबल इंजन सरकार में अभूतपूर्व कार्य हुआ है। एफडीआर तकनीक के यूपी मॉडल को अन्य राज्यों ने भी अपनाया है। एफडीआर तकनीक से बनी सड़क अधिक टिकाऊ होती हैं और उनकी औसत आयु लगभग 15 वर्ष अनुमानित है। एफडीआर तकनीक से कार्बन उत्सर्जन कम हो रहा है और यह सतत विकास के लिए एक बड़ी उपलब्धि है उत्तर प्रदेश सड़क निर्माण की नई तकनीक व पर्यावरण के दृष्टिकोण से देश के लिए एक आदर्श साबित हो रहा है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़को के पीरियाडिकल रिनूवल कार्यों में एफडीआर के अलावा वेस्ट प्लास्टिक का भी उपयोग किया जा रहा है और कम लागत में अच्छी व टिकाऊ सड़के बन रही हैं। इस तकनीक के साथ निर्मित मार्ग किफायती होने के साथ-साथ आर्थिक विकास, सुविधाजनक यात्रा, आपातकालीन सेवाओं में सुधार, राष्ट्र सुरक्षा तथा पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। इस तकनीक में कार्बन उत्सर्जन में अत्यधिक कमी होती है तथा निर्मित मार्ग के परफार्मेन्स के दृष्टिगत इनकी आयु लगभग 15 वर्ष अनुमानित है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण सड़कों के नेटवर्क से समावेशी विकास संभव हुआ है। पर्यावरण संतुलन के साथ हमें हर घर नल की तरह हर घर सड़क से जोड़ना है।
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Fri, Aug 29 , 2025, 06:06 PM