बेंगलुरु। कर्नाटक के छोटे व्यापारी आयकर विभाग (Income Tax Department ) की ओर से अवैध और मनमाने कर नोटिस भेजे जाने के विरोध (protest) 25 जुलाई को फ्रीडम पार्क में प्रदर्शन करेंगे। इस प्रदर्शन में राज्य भर के 60,000 से ज़्यादा व्यापारियों के शामिल होने की उम्मीद है। व्यापारियों के अनुसार यह हाल के दिनों में राज्य के व्यापारिक समुदाय द्वारा आयोजित सबसे बड़े प्रदर्शनों में से एक होने वाला है।व्यापारियों का आरोप है कि सरकार अपने कर विभागों के ज़रिए छोटे-छोटे उद्यमों को अनुचित तरीके से निशाना बना रही है, जिनमें से कई को 20-30 लाख रुपये के कर भुगतान की मांग वाले नोटिस मिले हैं। जिन्हें ये नोटिस मिले हैं, वे बेकरी, छोटी दुकानें और रेहड़ी-पटरी वाले जैसे छोटे कारोबार करते हैं।
एक व्यापारी संघ नेता ने रविवार को कहा, “यह अन्यायपूर्ण और अस्वीकार्य है। सरकार गरीब परिवारों को कल्याणकारी योजनाओं के तहत 2,000 रुपये देती है, लेकिन मुश्किल से अपना गुज़ारा कर पाने वाले व्यापारियों से लाखों रुपये की मांग करती है। ये नोटिस न केवल आर्थिक रूप से विनाशकारी हैं, बल्कि कानूनी रूप से भी संदिग्ध हैं।” इस विरोध प्रदर्शन को लेकर सभी जिलों में पर्चे बांटने का अभियान शुरू हो गया है। विभिन्न व्यापारी संघों और नागरिक सहायता समूहों के स्वयंसेवक स्थानीय बाज़ारों, दुकानों और औद्योगिक क्षेत्रों में जाकर सभी छोटे और सूक्ष्म व्यवसायों से विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आग्रह कर रहे हैं।
इस अभियान को राज्य श्रम परिषद का समर्थन प्राप्त है और व्यापारियों ने इस विरोध प्रदर्शन को अस्तित्व की लड़ाई बताया है। आयोजकों का कहना है कि यह आंदोलन स्वतःस्फूर्त है, राजनीति से प्रेरित नहीं है और वास्तविक, ज़मीनी स्तर के संकट से उपजा है। राजाजीनगर के एक विक्रेता ने कहा, “जिन व्यापारियों ने कभी कर नहीं चुकाया, वे अब कर उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। अपनी आजीविका चलाने के लिए हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है।”
प्रदर्शनकारी मनमाने कर नोटिसों को तुरंत वापस लेने और छोटे व्यापारियों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मूल्यांकन प्रक्रिया की जांच की मांग कर रहे हैं। वे छोटे व्यवसायों को असंगत जुर्माने से बचाने और जीएसटी प्रवर्तन (GST enforcement) में अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता की भी माँग कर रहे हैं। व्यापारियों का आरोप है कि वर्तमान कर नीति शासन और ज़मीनी हकीकत के बीच एक असमानता को दर्शाती है। उन्होंने अधिकारियों पर कोविड और मुद्रास्फीति के झटकों से उबर रहे सूक्ष्म उद्यमों के संघर्षों के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया है। यह विरोध प्रदर्शन श्री सिद्दारमैया के नेतृत्व वाली सरकार के लिए एक बड़ी परीक्षा साबित हो सकता है, जिसे अब न सिर्फ़ राजनीतिक विरोधियों से, बल्कि अर्थव्यवस्था के एक प्रमुख हिस्से, खुदरा व्यापारियों और छोटे उद्यमियों से भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। उधर, कर अधिकारी व्यापारियों से कर का भुगतान करने को कह रहे हैं।
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