IAMC to resolve domestic violence: हैदराबाद में आईएएमसी ने घरेलू हिंसा के समाधान के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं को किया प्रशिक्षित!

Thu, Jul 17 , 2025, 09:03 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

हैदराबाद: यहां स्थित अंतरराष्ट्रीय पंच निर्णय एवं मध्यस्थता केंद्र (आईएएमसी) ने इनविजिबल स्कार्स फाउंडेशन के सहयोग से विशेष पारिवारिक मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम किया है, जिसमें घरेलू संघर्ष का समाधान करने के लिए जमीनी स्तर के सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया। यह भारत में इस तरह का पहला कार्यक्रम हैं, जो संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान निकालने की प्रक्रिया को बढ़ावा देगा और घरेलू हिंसा से बचे लोगों का समर्थन करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया।

आईएएमसी के प्रमुख संकाय एवं रजिस्ट्रार ए जे जावद ने इनविजिबल स्कार्स फाउंडेशन की संस्थापक एकता विवेक वर्मा के साथ बुधवार को मीडिया को संबोधित करते हुए सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल समापन की घोषणा की और बताया कि इसे गैर-कानूनी पेशेवरों, विशेषकर सामाजिक कार्यकर्ताओं को पारिवारिक और घरेलू विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थता कौशल से लैस करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने कहा, “भारत में यह पहली बार है कि इस तरह का विशेष मध्यस्थता कार्यक्रम उन व्यक्तियों के लिए पेश किया गया है जो कानूनी रूप से प्रशिक्षित नहीं हैं। 

अधिकांश अदालती मध्यस्थता कार्यक्रम केवल वकीलों के लिए होते हैं। हम लैंगिक हिंसा और पारिवारिक संघर्ष में निहित विवादों को सुलझाने के लिए जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण के जरिये सशक्त बनाकर इस दायरे का विस्तार कर रहे हैं।” यह कार्यक्रम पारंपरिक मध्यस्थता प्रशिक्षण से आगे बढ़कर आघात-सूचित प्रथाओं, लिंग संवेदीकरण, नैतिक बातचीत, पारिवारिक कानून और संचार रणनीतियों पर आधारित है। मानक 40-घंटे के प्रशिक्षण के अलावा इसके विस्तारित कार्यक्रम में प्रतिभागियों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए मनोवैज्ञानिकों और क्षेत्र विशेषज्ञों को शामिल किया गया था।

स्थापित जमीनी स्तर के संगठनों के 32 सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशिक्षण में भाग लिया और उनका कठोर मूल्यांकन किया गया। उन्होंने बताया कि केवल वे लोग ही पारिवारिक मध्यस्थ के रूप में प्रमाणित होंगे जो वैचारिक समझ और व्यावहारिक अनुप्रयोग दोनों का प्रदर्शन करेंगे। वर्मा ने इस तरह के प्रशिक्षण के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “पारिवारिक मध्यस्थता केवल एक कानूनी उपकरण नहीं है, बल्कि यह एक निदान प्रक्रिया है। यह कार्यक्रम सामुदायिक कार्यकर्ताओं को सहानुभूति आधारित कौशल से लैस करता है ताकि वे सम्मान के साथ संघर्षों का समाधान कर सकें और एक उत्तरजीवी-प्रथम सहायता प्रणाली का निर्माण कर सकें।”

उन्होंने देशभर में इस तरह के प्रशिक्षण की बढ़ती मांग का भी उल्लेख करते हुए कहा कि इनविजिबल स्कार्स इस पहल को आगे बढ़ाने और अधिक मध्यस्थों को प्रशिक्षित करने के लिए परोपकारी साझेदारियों की तलाश कर रहा है। उन्होंने कहा, “अदालतों में लगभग 4.91 लाख घरेलू हिंसा के मामले लंबित हैं, ऐसे में मध्यस्थता एक तीव्र, अधिक मानवीय विकल्प प्रदान करती है, जो कानूनी प्रणाली पर बोझ को कम करती है।”
उन्होंने कहा कि पारिवारिक मध्यस्थता का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि एक बार इस प्रक्रिया के माध्यम से किसी विवाद का समाधान हो जाने के बाद उसे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है। 

इससे मामला बंद और अंतिम रूप से निपट जाता है। तेलंगाना सहित पूरे भारत की अदालतें समुदाय-आधारित मध्यस्थता को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही हैं, और राज्य घरेलू हिंसा की प्रतिक्रिया तथा जमीनी स्तर पर संघर्ष समाधान में अग्रणी बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि हालाँकि कोई आधिकारिक आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन अनुमान है कि मध्यस्थता के लिए भेजे गए लगभग 50-60 प्रतिशत विवादों का सफलतापूर्वक समाधान हो रहा है, जो इस प्रक्रिया में जनता के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है। यह पहल प्रमाणित पारिवारिक मध्यस्थों के भारतव्यापी नेटवर्क के निर्माण की नींव रखती है, भावनात्मक और कानूनी रूप से थकाऊ अदालती लड़ाइयों के लिए एक समयोचित और अत्यंत आवश्यक विकल्प तैयार करती है।

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