आइजोल। मैदानों की जीवनरेखा भारतीय रेल (Indian Railways) अब पहाड़ की चोटियों को चूमते हुए मिजोरम की राजधानी आइजोल के करीब सायरंग तक पहुंच गई है लेकिन रविवार को राजधानी में जिस कदर सूनापन पसरा रहता है उसे देखते हुए ये नहीं लगता कि सायरंग में बजने वाली रेल की सीटी आइजोल का सन्नाटा तोड़ पाएगी। रेल अधिकारियों का कहना है कि मिजोरम की राजधानी आइजोल को रेलमार्ग से जोड़ने के लिए सायरंग तक रेल लाइन बिछाने और इस पर ट्रायल का काम पूरा हो चुका है। करीब 11 साल पहले मिजोरम के बैइरबी से 8123 करोड़ रुपए की परियोजना को मंजूरी मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने इस खंड पर 51.8 किलोमीटर लम्बी रेल लाइन बिछाने की परियोजना का शिलान्यास किया था और अब इस खंड पर काम पूरा होने के साथ ही ट्रायल भी चुका है और रेल संचालन को सिर्फ श्री मोदी से हरी झंडी मिलने का इंतजार है।
रेल अधिकारियों का कहना है कि सायरंग तक रेल का संचालन शुरु होने से पहले ही सायरंग से म्यांमार सीमा के हबीब चुआ तक करीब रेल लाइन बिछाने के लिए सर्वेक्षण का काम शुरु हो चुका है। यह रेल लाइन सीमा पर देश की सुरक्षा के लिहाज से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सायरंग से म्यांमार सीमा के हबीब चुआ तक करीब 223 किलोमीटर पर रेल लाइन बिछाने की योजना है। इस मार्ग पर काम पूरा होने से राजधानी आइजोल भी पूरी तरह से रेल मार्ग से जुड़ सकेगी। सायरंग दुर्गम पहाडियों के बीच स्थित है और यहां से आइजोल के लिए 20 किलोमीटर तक सड़क मार्ग है लेकिन आइजोल को विमान सेवा से जोड़ने वाला लेंगपी हवाई अड्डा यहां से 10 किलोमीटर दूर है जो आइजोल से कुल 30 किमी की दूरी पर स्थित है।
मिजोरम को जोड़ने के लिए पहले असम के सिलचर तक ही रेल गाड़ी (Train) जाती थी लेकिन बाद में सिलचर के नजदीक मिजोरम के बैइरबी तक रेल का संचालन शुरु किया गया और अब बैइरबी से सायरंग तक 51 किलोमीटर के रेलमार्ग पर निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और रेल संचालन के लिए यह खंड तैयार है। इस पर 51 किलोमीटर में 48 सुरंगे हैं तथा 153 पुल बनाए गये हैं। इनमें 10 पुल कुतुब मिनार से भी ऊंचे हैं। इन सुरंगों और पुलों से गुजरते हुए रेल यात्रा अत्यंत रमणीक बन जाती है। राजधानी आइजोल के रेल और वायुमार्ग से जुड़ने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि वहां पर्यटन को बढावा मिलेगा और बड़ी संख्या में पर्यटक सप्ताहांत में आएंगे जिससे मिजोरम में पर्यटन से लोगों की आय बढ़ेगी। लेकिन यहां व्यवस्था यह है कि रविवार को पूरा शहर बंद रहता है और कर्फ्यू जैसे हालात होते हैं। बाजार में कोई दुकान नहीं खुलती है इसलिए बाजार के साथ ही सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहता है। वहां हर रविवार को यही स्थिति रहती है।
बताया जाता है कि इस दिन यहां स्थानीय लोग अपनी धार्मिक गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं और बाजार नहीं आते हैं जिससे पूरे शहर में सन्नाटा पसरा रहता है। बड़ा बाजार जैसे व्यस्त इलाके में भी इक्का दुक्का लोग ही सड़कों पर दिखाई देते हैं। आवश्यक कार्यों से या सगे संबंधियों के पास जिन्हें जाना होता है उनके वाहन ही सड़कों पर दौड़ते दिखते हैं। वाहन भी सड़कों पर बहुत कम निकलते हैं। शनिवार को लोग सभी आवश्यक सामान जुटा लेते हैं ताकि रविवार को किसी सामान की कमी नहीं रहे और सभी जरूरत के सामान घर पर ही उपलब्ध हों।
माना जा रहा है कि यदि रविवार को आइजोल में यही स्थिति आगे भी रहेगी तो वीक एंड में शनिवार रविवार की छुट्टी पर रेल या हवाई मार्ग से आइजोल पहुंचने वाले पर्यटकों को दिक्कत होगी। लोग यहां की पहाड़ियों के खूबसूरत नजारे को देखना चाहेंगे लेकिन जब बाजार बंद होंगे और कर्फ्यू जैसे हालात होंगे तो लोगों आने से कतराएंगे। पर्यटन को बढाना है और म्यांमार, बंगलादेश सीमा के साथ ही खूबसूरत नजारे देखने के लिए आइजाल पीक पर पर्यटकों की भीड़ बढानी है तो रविवार के सन्नाटे को तोड़ना ही होगा।
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Tue, Jul 15 , 2025, 06:35 PM