Mother Day: हर साल मई के दूसरे रविवार को दुनिया भर में मातृ दिवस मनाया (Mother's Day is celebrated) जाता है। लेकिन, यह सिर्फ माताओं को उपहार देने या उनकी सराहना करने का दिन नहीं है। यह वह दिन है जिसमें उनकी कड़ी मेहनत, उनके प्यार और उनके योगदान को सम्मानित किया जाता है। मदर्स डे (Mother's Day) के पीछे एक ऐतिहासिक कहानी है, जिसे एक लड़की के सपने और उसके अथक परिश्रम ने आकार दिया।
मातृ दिवस की शुरुआत कैसे हुई?
मदर्स डे की शुरुआत 19वीं सदी में अमेरिका में हुई थी। इसकी शुरुआत एक सामाजिक कार्यकर्ता, अन्ना रीव्स जार्विस के काम से हुई। वह 'मदर्स डे वर्क क्लब' नामक एक समूह के माध्यम से माताओं को बच्चों की देखभाल का प्रशिक्षण दे रही थीं। उस समय, स्वच्छता की कमी के कारण शिशु मृत्यु दर अधिक थी, और अन्ना ने समाधान खोजने के लिए माताओं को स्वास्थ्य और स्वच्छता के महत्व के बारे में सिखाया।
1961 में अमेरिका में गृह युद्ध छिड़ गया था, लेकिन उस दौरान अन्ना ने 'मदर्स फ्रेंडशिप डे' नाम से एक पहल शुरू की। इस पहल का उद्देश्य युद्ध में घायल हुए सैनिकों की माताओं को एक साथ लाना तथा उनके बीच मैत्री संबंध बनाना था।
अन्ना की बेटी अन्ना जार्विस अपनी मां के काम से प्रेरित होकर माताओं के सम्मान के लिए एक विशेष दिन बनाना चाहती थी। अपनी मां की मृत्यु के बाद, उन्होंने 1908 में वेस्ट वर्जीनिया के एक चर्च में पहला मदर्स डे मनाया। उस दिन, उनकी मां की याद में 500 सफेद कारनेशन वितरित किये गये।
मातृ दिवस राष्ट्रीय अवकाश कैसे बन गया?
अमेरिकी व्यवसायी जॉन वानामेकर के सहयोग से यह कार्यक्रम सफल रहा। और 1914 में, अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को मातृ दिवस के रूप में घोषित किया।
भारत में मातृ दिवस क्यों मनाया जाता है?
भारत में भी इन दिनों मदर्स डे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति में माताओं को सदैव उच्च स्थान प्राप्त रहा है। प्राचीन काल से ही देवी दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती को मातृ शक्ति का रूप माना जाता रहा है। हालाँकि, भारत में शहरों में तो मदर्स डे मनाया जाता है, लेकिन गांवों में इस त्यौहार का अभाव है।
जैसे-जैसे मदर्स डे अधिक लोकप्रिय होता गया, इसका व्यावसायीकरण भी बढ़ता गया। फूल, उपहार, कार्ड और अन्य वस्तुएं बेचने वाली कंपनियों ने मदर्स डे का व्यावसायिक उपयोग करना शुरू कर दिया। इस व्यावसायीकरण से अन्ना जार्विस दुखी हो गईं। उनका मानना था कि यह दिन सिर्फ एक व्यावसायिक उत्सव नहीं होना चाहिए, बल्कि एक सच्चा दिन होना चाहिए जो एक माँ के प्यार और त्याग को दर्शाता हो।
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Sun, May 11 , 2025, 07:46 PM