Healthy eating habits: पतंजलि से सीखें खान-पान के नियम, रहें स्वस्थ और फिट!

Wed, May 07 , 2025, 07:40 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Patanjali Ayurveda Healthy eating habits : भोजन और स्वास्थ्य के बीच घनिष्ठ संबंध है। फिट और स्वस्थ रहना सिर्फ पौष्टिक आहार खाने से ही संभव नहीं है। इसलिए खान-पान संबंधी नियमों का पालन करना भी आवश्यक है। योग गुरु बाबा रामदेव और आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य बालकृष्ण (expert Acharya Balkrishna) की पुस्तक में इस बारे में विशेष जानकारी है। अपनी पुस्तक आयुर्वेद का विज्ञान में दोनों ने स्वस्थ जीवन के बारे में विस्तृत और विस्तृत जानकारी दी है। यह पुस्तक किसी खजाने से कम नहीं है। इस पुस्तक में दी गई कई युक्तियाँ और सलाह आपको स्वस्थ और फिट रखने में अमूल्य होंगी। उचित खान-पान की आदतें अपनाने से न केवल कई बीमारियों से बचाव होगा, बल्कि आपका स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।

ताज़ा और गर्म भोजन खाएं!

इस पुस्तक में आचार्य बालकृष्ण हमेशा ताजा और गर्म भोजन खाने की सलाह देते हैं। ऐसा भोजन न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि पौष्टिक भी होता है। इसका पाचन भी शीघ्र होता है। ठंडा और स्वादहीन भोजन पौष्टिक नहीं होता। इसके विपरीत, यह शरीर के लिए एक उपचार हो सकता है। इस पुस्तक में बताया गया है कि पैकेज्ड, डिब्बाबंद और सीलबंद खाद्य पदार्थ और खाद्य सामग्री खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।


भोजन सामग्री की व्यवस्था आकर्षक होनी चाहिए!

आयुर्वेद के अनुसार भोजन केवल चटकारे लेकर खत्म कर देने वाली बात नहीं है, यह एक त्यागपूर्ण कार्य है जिससे पेट नहीं भरता। भोजन का आनंद संगीत और समुद्र के साथ लिया जाना चाहिए। इसके लिए भोजन की व्यवस्था साफ-सुथरी जगह पर होनी चाहिए। प्लेट में भोजन ठीक से व्यवस्थित होना चाहिए। यह भूख बढ़ाता है। पाचक रस बाहर निकल जाता है। खाना पकाने का काम सावधानी से करना चाहिए। रसोईघर में भोजन की खुशबू आनी चाहिए।

वातावरण अनुकूल होना चाहिए!

जिस स्थान पर आप भोजन करने बैठें वह स्वच्छ और सुखद होना चाहिए। भोजन करते समय कोई चिल्लाहट, अनावश्यक हंगामा, अव्यवस्था या उपद्रव नहीं होना चाहिए। भोजन का समापन हंसी-मजाक और अच्छी बातों को याद करते हुए करना महत्वपूर्ण है।

इन नियमों का भी पालन करें!

आयुर्वेद के अनुसार, भोजन करते समय जूते या बूट नहीं पहनने चाहिए। क्योंकि अगर आपके पैरों में जूते या बूट होंगे तो आपके पैरों से गर्मी बाहर निकल जाएगी और पाचन अग्नि धीमी हो जाएगी। भोजन करने से पहले हाथ-पैर अवश्य धोने चाहिए। भोजन से पहले प्रार्थना करनी चाहिए। ईश्वर का ध्यान करो। भोजन, उसे तैयार करने वाले व्यक्ति तथा उसे उपलब्ध कराने वाले व्यक्ति के प्रति आभार व्यक्त करें। भोजन से कम से कम 2-3 घंटे पहले पानी पीएं। भारतीय बैठकर भोजन करना स्वास्थ्य (health) के लिए अच्छा है।

मानसिक स्थिति प्रसन्न होनी चाहिए!

भोजन करते समय अनावश्यक दबाव, चिंता या तनाव नहीं होना चाहिए। खाते समय खुश रहें। नकारात्मक भावनाओं और विचारों के आगे न झुकें। इसलिए, पाचक रस बाहर नहीं निकलते। भोजन को पचने में समय लगता है। इसलिए, रोग और भी बदतर हो जाता है। मुझे भूख नहीं है। चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।अपच और गैस की समस्या बढ़ जाती है।

भोजन का उचित समय होना चाहिए!

आयुर्वेद के अनुसार, असमय भोजन नहीं करना चाहिए। भोजन के लिए उचित समय होना चाहिए और उसका पालन किया जाना चाहिए। खाते समय खुश रहें।दोपहर का भोजन 12 से 2 बजे के बीच खा लेना चाहिए। इससे शरीर को ताकत मिलती है। खाना भी अच्छे से पच गया। शरीर को पोषक तत्व मिलते हैं। आयुर्वेद कहता है कि अधिक खाने की आदत अच्छी नहीं है। भोजन करते समय अपने पेट का एक तिहाई और एक चौथाई हिस्सा नीचे रखना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।

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