Vaishakh Amavasya 2025: कई बार घर में परिवार के सदस्यों के बीच लगातार झगड़े और मतभेद होते रहते हैं। इसका मुख्य कारण घर में पितृ दोष (Pitra Dosh) का होना है। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उचित रीति-रिवाज व कर्मकांड न करने से उस घर में पितृ दोष उत्पन्न होने की संभावना रहती है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों में कई नियमों का उल्लेख है, जिनका पालन करने से पैतृक पापों से मुक्ति मिलती है। पितृ दोष के ज्योतिषीय कारणों पर गौर करें तो पता चलता है कि कुंडली में नवम ग्रह या उसके स्वामी ग्रह के साथ पाप ग्रह के संपर्क में होने से पितृ दोष होता है, जबकि लग्न में चतुर्थ, पंचम, सप्तम या नवम भाव में भाग्येश चंद्रमा (Bhagyesh Moon) या सूर्य पाप ग्रह (Sun is a sinful planet) से पीड़ित होने पर पितृ दोष होता है।
इसके साथ ही व्यावहारिक रूप से देखें तो पितरों का श्राद्ध कर्म न करने और उन्हें पिंडदान न करने से भी पितृ दोष उत्पन्न होता है। अगर घर में किसी महिला के साथ दुर्व्यवहार होता है तो इसमें भी पिता का दोष है। पितृ दोष के कई कारण हो सकते हैं। पितृ दोष में व्यक्ति का जीवन ठहर सा जाता है, बाधाएं और परेशानियां व्यक्ति को घेर लेती हैं, यह पता नहीं चल पाता कि ऐसा उस व्यक्ति के साथ क्यों हो रहा है, लेकिन ये पितृ दोष के लक्षण हो सकते हैं।
कारण चाहे जो भी हो, वैशाख अमावस्या की तिथि पितृ दोष के लिए बहुत खास बताई जाती है। ज्योतिष शास्त्र में वैशाख अमावस्या को पितृ मोक्ष अमावस्या (Pitra Moksha Amavasya) के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन पितृदोष निवारण के उपाय करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और पितरों को प्रसन्न कर मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृ दोष दूर करने के लिए हम आपको कुछ ज्योतिषीय उपाय बता रहे हैं, जिन्हें अमावस्या के दिन करने से पितृ प्रसन्न होंगे।
पितृ दोष दूर करने के लिए क्या करना चाहिए? किसी नदी या सरोवर के पास स्थित शिव मंदिर में रुद्राभिषेक पूजा करें। अमावस्या के दिन किसी विकलांग, अंधे, अनाथ, कोढ़ी या बहुत वृद्ध व्यक्ति को भोजन दान करें। अमावस्या की शाम को पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं। अमावस्या के दिन ब्राह्मण को भोजन कराएं। किसी नदी या तालाब के किनारे पीपल का पेड़ लगाएं। अमावस्या के दिन कच्चा दूध, जल और काले तिल मिलाकर बरगद के पेड़ की जड़ में अर्पित करें। इस दिन पीपल के पेड़ की जड़ में जाकर भगवान विष्णु को पवित्र धागा अर्पित करें। फिर पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करें और परिक्रमा करते समय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। अमावस्या तिथि पर अपने पितरों को तर्पण करें, अपने पितरों का ध्यान करें और जल, काले तिल, चीनी, चावल अर्पित करें और ॐ पितृभ्य नमः मंत्र का जाप करें।
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Thu, May 01 , 2025, 09:10 PM