मुंबई। अमेरिका और चीन के बीच आयात शुल्क (tariff) को लेकर चल रही जवाबी कार्रवाई से वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध की आशंका के बावजूद भारत के टैरिफ से अपेक्षाकृत कम प्रभावित होने की बदौलत स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा लिवाली से आज शेयर बाजार (stock market) में जबरदस्त उछाल रहा। बीएसई (BSE) का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स (Sensex) 1200.40 अंक अर्थात 1.56 प्रतिशत की छलांग लगाकर तेरह कारोबारी सत्र के बाद 78 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार 78,244.69 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 330.35 अंक यानी 1.41 प्रतिशत की मजबूती के साथ 23767.55 अंक पर पहुंच गया।
शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 76 अंक उतरकर 76,968.02 अंक पर खुला और बिकवाली के दबाव में थोड़ी देर बाद ही 76,665.77 अंक के निचले स्तर तक टूट गया। वहीं, खबर लिखे जाने तक यह 78,301.65 अंक के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहा था। इसी तरह निफ्टी भी 35 अंक फिसलकर 23,401.85 अंक पर खुला और 23,298.55 अंक के निचले जबकि 23,786.45 अंक के उच्चतम स्तर पर रहा।
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक बाजारों (global markets) में जारी उतार-चढ़ाव और व्यापार युद्ध की आशंकाओं के बीच भारत का हालिया बेहतर प्रदर्शन बाजार विशेषज्ञों के लिए चौंकाने वाला लेकिन उत्साहजनक रहा है। इस वर्ष 02 अप्रैल के बाद से जब प्रमुख वैश्विक बाजार नुकसान झेल रहे हैं, भारत उन गिने-चुने बड़े बाजारों में शामिल है जिसने न सिर्फ अपने नुकसान की भरपाई की बल्कि 02 अप्रैल से पहले के स्तर से ऊपर बंद होकर निवेशकों का भरोसा भी कायम रखा।
इस मजबूती के पीछे दो प्रमुख वजहें बताई जा रही हैं। पहला, भारत एक घरेलू खपत-आधारित अर्थव्यवस्था है, जिससे यह टैरिफ संकट जैसे बाहरी झटकों से अपेक्षाकृत कम प्रभावित होता है। चीन या अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था का निर्यात पर कम निर्भर होना वैश्विक झटकों के दौरान इसे एक सुरक्षित विकल्प बनाता है।
दूसरा, अमेरिका और भारत के बीच संभावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते की उम्मीदें बाजार को अतिरिक्त समर्थन दे रही हैं। अमेरिका भारत को अपने चार प्रमुख व्यापारिक सहयोगियों ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया और भारत में से एक मान रहा है, जिनके साथ वह प्राथमिकता के आधार पर व्यापार समझौते कर सकता है। यदि यह समझौता होता है तो भारत अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की स्थिति में एक वैकल्पिक आपूर्ति स्रोत बन सकता है, जिससे निर्यात और विदेशी निवेश को बल मिलेगा।
इस बीच, भारत के घरेलू खपत से जुड़े क्षेत्रों वित्तीय सेवाएं, दूरसंचार, विमानन, सीमेंट और ऑटो में सूचीबद्ध शेयरों ने शानदार प्रदर्शन किया है। कई शेयर ने 52 सप्ताह का उच्चतम स्तर छुआ है और कुछ ने नए रिकॉर्ड भी बनाए हैं। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रवृत्ति निकट भविष्य में भी बनी रह सकती है।विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत में फिर से सक्रिय रूप से खासकर घरेलू खपत-आधारित उच्च गुणवत्ता वाले लार्जकैप शेयरों में निवेश कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि मौजूदा वैश्विक संकट में भारत को निवेश का एक स्थिर और भरोसेमंद गंतव्य माना जा रहा है, खासकर तब जब अमेरिका और चीन की संभावनाएं कमजोर दिखाई दे रही हैं।
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Thu, Apr 17 , 2025, 02:10 PM