Health Tips: आज के डिजिटल युग में सूचना के सागर में गोता लगाना आसान हो गया है। अब लोगों को किसी बीमारी, उसके लक्षण, उपचार या दवा के बारे में जानकारी चाहिए होती है तो वे डॉक्टर से परामर्श करने से पहले गूगल पर सर्च करते हैं। एलोपैथी से लेकर दादी-नानी के पर्स में मौजूद घरेलू नुस्खों तक, सब कुछ इंटरनेट पर एक क्लिक पर उपलब्ध है। लेकिन, यह सुविधा कितनी खतरनाक हो सकती है? इंटरनेट पर जानकारी कितनी विश्वसनीय है? और इसका हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? इन सवालों के जवाब ढूंढना जरूरी है। कोल्हापुर के डॉ. अविनाश शिंदे ने इस संबंध में जानकारी दी है।
सिर्फ युवा ही नहीं, हर कोई सूचना के जाल में फंसा हुआ है।
इंटरनेट पर स्वास्थ्य संबंधी जानकारी खोजने की आदत केवल युवाओं तक ही सीमित नहीं है। 18 से 45 वर्ष की आयु के लोग गूगल जैसे सर्च इंजनों पर बहुत अधिक निर्भर हैं। 2021 के एक अध्ययन के अनुसार, 71.8 प्रतिशत अमेरिकी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी वेबसाइटों पर खोजते हैं, जबकि 11.6 प्रतिशत सीधे गूगल पर खोज करते हैं। भारत में भी यह प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। सर्दी-खांसी से लेकर गंभीर बीमारियों तक सब कुछ इंटरनेट पर सर्च किया जाता है। हालाँकि, इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी हमेशा विश्वसनीय नहीं होती। अक्सर गलत या अधूरी जानकारी लोगों को भ्रमित कर देती है और गंभीर परिणाम उत्पन्न करती है।
इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी कितनी विश्वसनीय है?
इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी अक्सर चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा सत्यापित नहीं होती। ब्लॉगों, मंचों और कुछ वेबसाइटों पर दी गई जानकारी व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित होती है, जो हर किसी पर लागू नहीं हो सकती। उदाहरण के लिए, सिरदर्द का कारण साधारण निर्जलीकरण से लेकर गंभीर तंत्रिका संबंधी समस्याएं तक हो सकती हैं। हालाँकि, इंटरनेट पर सर्च करने से गंभीर बीमारियों के बारे में जानकारी मिलने से तनाव बढ़ सकता है। इसे साइबरकॉन्ड्रिया भी कहा जाता है, जहां लोगों को लगता है कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी है।
इंटरनेट पर पढ़े गए आहार का पालन करना कितना सुरक्षित है?
इन दिनों इंटरनेट पर आहार संबंधी बहुत चर्चा हो रही है। कई आहार योजनाओं, जैसे कि पैलियो आहार, कीटो आहार और आंतरायिक उपवास, की जानकारी आसानी से उपलब्ध है। कई लोग चिकित्सीय सलाह लिए बिना ही इन आहारों का पालन करते हैं। हालाँकि, प्रत्येक व्यक्ति का शरीर, ज़रूरतें और स्वास्थ्य स्थिति अलग-अलग होती है। जबकि कुछ लोगों को इंटरनेट पर उपलब्ध सामान्य आहार योजनाओं से लाभ हो सकता है, वहीं अन्य लोगों को पोषक तत्वों की कमी, थकान या अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि आहार योजना व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप तथा डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ की सलाह से बनाई जानी चाहिए।
गर्भवती महिलाओं के लिए इंटरनेट कितना उपयोगी है?
गर्भावस्था के दौरान महिलाएं इंटरनेट पर जानकारी खोजने की अधिक संभावना रखती हैं, विशेषकर वे महिलाएं जो पहली बार गर्भवती होती हैं। वे गर्भावस्था के आहार, व्यायाम, शिशु के विकास के चरणों और प्रसव प्रक्रिया पर शोध करते हैं। हालाँकि, इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी हमेशा विश्वसनीय नहीं होती। गलत सूचना गर्भवती महिलाओं में तनाव बढ़ा सकती है या उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। उदाहरण के लिए, कुछ वेबसाइट गर्भावस्था के दौरान कुछ दवाएं या आहार लेने की सलाह देती हैं, जो चिकित्सकीय दृष्टि से उचित नहीं है। गर्भावस्था के दौरान किसी भी जानकारी को लागू करने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना बहुत जरूरी है।
उसके खतरे क्या हैं?
इंटरनेट पर जानकारी खोजने में कई खतरे हैं। पहला खतरा गलत सूचना के आधार पर स्वयं दवा लेना है। इससे रोग और भी बदतर हो जाने की सम्भावना है। दूसरा यह कि गंभीर बीमारियों का गलत निदान होने से तनाव बढ़ता है। तीसरा, इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी से डॉक्टरों पर भरोसा कम हो सकता है, जिससे उपचार में देरी हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि आप इंटरनेट पर इसके बारे में पढ़ते हैं और साधारण बुखार के लिए दवा लेते हैं, और बुखार डेंगू निकलता है, तो स्थिति गंभीर हो सकती है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि इंटरनेट सूचना का स्रोत हो सकता है, लेकिन यह डॉक्टर का विकल्प नहीं हो सकता। सामान्य जानकारी के लिए इंटरनेट पर जानकारी ठीक है, लेकिन आपको निदान और उपचार के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए। अपने निर्णय स्वयं लेने से बचें, विशेषकर गंभीर बीमारियों, गर्भावस्था या दीर्घकालिक बीमारियों के संबंध में। विशेषज्ञों का कहना है कि जानकारी के लिए विश्वसनीय वेबसाइटों, जैसे कि सरकारी स्वास्थ्य एजेंसियों या प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों की वेबसाइटों का उपयोग किया जाना चाहिए।
क्या निदान है?
इंटरनेट का उपयोग करते समय कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए। सबसे पहले, सूचना स्रोत की विश्वसनीयता की जाँच करें। दूसरा, इंटरनेट पर जो कुछ भी पढ़ें उस पर विश्वास न करें। तीसरा, कोई भी उपचार या आहार शुरू करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें। चौथा, गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए और इंटरनेट के बजाय विशेषज्ञों पर भरोसा करना चाहिए।
अंतिम विचार
इंटरनेट ने सूचना तक पहुंच आसान बना दी है, लेकिन इसका उपयोग जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए। हमारा स्वास्थ्य एक गंभीर मामला है और इसके बारे में निर्णय लेने के लिए विशेषज्ञ की सलाह सबसे अच्छा विकल्प है। इंटरनेट के जाल में फंसने के बजाय अपने स्वास्थ्य की देखभाल के लिए डॉक्टर की मदद लें। क्योंकि, डॉ. अविनाश शिंदे कहते हैं, आपका स्वास्थ्य ही आपकी असली संपत्ति है।
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Thu, Apr 17 , 2025, 09:45 AM