Oil Sector - Act: तेल क्षेत्र विनिमय और विकास संशोधन अधिनियम 2025 लागू!

Mon, Apr 14 , 2025, 09:11 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली। सरकार ने सोमवार को तेल क्षेत्र (Regulation and Development ) संशोधन अधिनियम को लागू करने की अधिसूचना जारी की और यह 15 अप्रैल से प्रभावी हो जायेगी। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने कहा, “ ऐतिहासिक तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन अधिनियम, 2025 (2025 का 6),15 अप्रैल 2025 से लागू होगा। यह अधिनियम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में भारत की यात्रा में एक नए युग की शुरुआत करता है।”

उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक कानून हाइड्रोकार्बन की खोज और उत्पादन के लिए भारत की क्षमता को और मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि मंत्रालय कल ऐतिहासिक सुधारों का एक सेट भी पेश करेगा, जिसे अगले छह महीनों में लागू किया जाएगा। तेल क्षेत्र (नियामक और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 को संसद के बजट सत्र में पारित किया गया था। लोक सभा ने इसे 12 मार्च 2025 को पारित किया। इससे पहले इसे तीन दिसंबर, 2024 को राज्य सभा ने पारित किया था।

विधेयक को पांच अगस्त, 2024 को राज्यसभा में पेश किया गया, जिसके माध्यम से विधेयक तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) अधिनियम, 1948 में संशोधन किया गया है। यह संशोधित अधिनियम प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम की खोज और निष्कर्षण के नियमन एवं नियंत्रण व्यवस्था में सुधार के लिए बनाया गया है। इसमें खनिज तेलों की परिभाषा में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस को शामिल किया गया है। इस तरह इसकी परिभाषा में भी प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला कोई भी हाइड्रोकार्बन, कोल बेड मीथेन और शेल गैस/ तेल शामिल की गयी है।

खनिज तेलों में कोयला, लिग्नाइट या हीलियम शामिल नहीं होंगे।,अधिनियम में खनन पट्टे का प्रावधान है, जिसमें खनिज तेलों की खोज, पूर्वेक्षण, उत्पादन, व्यापार योग्य बनाना और निपटान जैसी विभिन्न गतिविधियाँ शामिल हैं। इसमें केद्र को लीज़ देने को विनियमित करने, लीज़ की शर्तें और नियम जिसमें न्यूनतम और अधिकतम क्षेत्र और लीज़ की अवधि तय करने, खनिज तेलों का संरक्षण और विकास, तेल उत्पादन के तरीके और रॉयल्टी, शुल्क और करों के संग्रह का तरीका तय करने का अधिकार है। इसके तहत सरकार पेट्रोलियम लीज़ का विलय और संयोजन कर सकती है , पर्यावरण की रक्षा और उत्सर्जन को कम करने के लिए लीज़धारकों के दायित्व कर सकती है तथा पेट्रोलियम लीज़ देने के संबंध में विवादों को हल करने के लिए वैकल्पिक तंत्र की व्यवस्था भी कर सकती है । अधिनियम में प्रावधान है कि नियमों का उल्लंघन करने पर दंड के प्रावधान किए गए हैं।

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