Monetary Policy of Reserve Bank of India : भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज, सोमवार, 7 अप्रैल से शुरू हो रही है। इस बैठक में रेपो रेट (Reserve Bank of India repo rate) में 0.25 फीसदी की कटौती होने की उम्मीद है। इसका मतलब यह है कि आने वाले समय में सभी तरह के लोन सस्ते हो सकते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (US President Donald Trump) की टैरिफ नीति का प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ता दिख रहा है। दुनिया भर के देश कई कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक घरेलू अर्थव्यवस्था (domestic economy) को स्थिर करने का प्रयास कर सकता है। इस स्थिति में नकदी प्रवाह बढ़ाने की आवश्यकता है। इसलिए, रिजर्व बैंक कर्ज सस्ता करने के लिए रेपो दर में कटौती कर सकता है।
फरवरी में रेपो दर में कटौती
रिजर्व बैंक ने फरवरी में ब्याज दरों में कटौती की थी। आरबीआई ने ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। फरवरी में हुई बैठक में ब्याज दर 6.50 प्रतिशत से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दी गई थी। यह कटौती लगभग 5 वर्षों के बाद की गई।
रेपो दर क्या है?
रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देश के अन्य बैंकों को ऋण देता है। जब रेपो दर बढ़ती है तो बैंकों को महंगी दरों पर ऋण मिलता है। वहीं, जब रेपो रेट कम हो जाती है तो बैंकों को आरबीआई से सस्ती दरों पर कर्ज मिल सकता है।
यदि रेपो दर कम कर दी जाए तो क्या लाभ होगा?
रेपो रेट कम होने के बाद बैंक होम लोन और कार लोन जैसे ऋणों पर ब्याज दरें भी कम कर सकते हैं। आपके सभी ऋण सस्ते हो जाएंगे और ईएमआई भी कम हो जाएगी। यदि ब्याज दरें गिरेंगी तो आवास की मांग बढ़ेगी। अधिक लोग रियल एस्टेट में निवेश कर सकेंगे।
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Mon, Apr 07 , 2025, 01:59 PM