Murmu RBI: विकसित भारत के लिए नवोन्मेषी, अनुकूलनीय व सभी के लिए सुलभ वित्तीय तंत्र की जरूरत: मुर्मु

Tue, Apr 01 , 2025, 07:35 PM

Source : Uni India

मुंबई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (Draupadi Murmu) ने मंगलवार को कहा कि जैसे-जैसे भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी के समीप पहुंच रहा है, 'विकसित भारत 2047' का मिशन एक ऐसे वित्तीय इकोसिस्टम की मांग करता है जो नवोन्मेषी, अनुकूलनीय और सभी के लिए सुलभ हो।

श्रीमती मुर्म ने यहां भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) की 90 वर्षगांठ के समापन समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि आगे का मार्ग नई जटिलताएं और चुनौतियां पेश करेगा। उन्होंने स्थिरता, नवाचार और समावेशिता के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ रिजर्व बैंक के शक्ति का एक स्तंभ बने रहने का विश्वास जताते हुये कहा कि यह विश्वास को मजबूत करेगा और देश को समृद्धि और वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जाएगा। एक मजबूत बैंकिंग प्रणाली सुनिश्चित करने, वित्तीय नवाचार को बढ़ावा देने और हमारे वित्तीय इकोसिस्टम में विश्वास की रक्षा करते हुए मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता के संरक्षक के रूप में रिजर्व बैंक विकसित भारत की यात्रा में एक निर्णायक भूमिका निभाएगा।

श्रीमती मुर्मु ने कहा कि रिजर्व बैंक ने भारत को डिजिटल भुगतान (digital payments) में अग्रणी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश के भुगतान ढांचे को लगातार आधुनिक बनाकर, इसने यह सुनिश्चित किया है कि डिजिटल लेनदेन न केवल सहज और कुशल हों, बल्कि सुरक्षित भी हों। यूपीआई जैसे नवाचारों से वित्तीय क्षेत्र तक पहुंच में आयी क्रांति से तत्काल, कम लागत वाले लेनदेन संभव हुए हैं और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला है। भुगतान के अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक ने एक जीवंत फिन-टेक इकोसिस्टम विकसित किया है।

उन्होंने कहा कि आमजन का उनकी जेब में रखे नोटों पर छपे भारतीय रिजर्व बैंक के नाम के अलावा कोई सीधा संपर्क नही होता है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से बैंकों और अन्य माध्यमों से उनके सभी वित्तीय लेन-देन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ही नियंत्रित होते हैं और वे सहज रूप से इसके द्वारा संचालित वित्तीय प्रणाली में अपना पूर्ण विश्वास रखते हैं। उन्होंने कहा कि यह विश्वास ही भारतीय रिजर्व बैंक की नौ दशकों की सबसे बड़ी उपलब्धि है। रिजर्व बैंक ने मूल्य स्थिरता, विकास और वित्तीय स्थिरता के अपने अधिदेश को दृढ़ता से बनाए रखते हुए यह विश्वास अर्जित किया है। रिजर्व बैंक ने हमारे आगे बढ़ते राष्ट्र की उभरती जरूरतों को पूरा करने के अनुरूप स्वयं को ढाला है।

राष्ट्रपति ने कहा कि 1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण से लेकर कोविड-19 महामारी तक प्रमुख चुनौतियों के प्रति त्वरित प्रतिक्रियाएं रिजर्व बैंक की अनुकूलनशीलता को दर्शाती हैं। रिजर्व बैंक ने तेजी से वैश्वीकृत हो रहे विश्व में, प्रतिकूल अंतरराष्ट्रीय प्रवृत्तियों के समक्ष देश की वित्तीय प्रणाली की सुदृढ़ता को सुनिश्चित किया हैं।राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्रीय बैंक के रूप में रिजर्व बैंक देश की अविश्वसनीय विकास गाथा का केंद्र है। रिजर्व बैंक आजादी से पहले देश की भीषण गरीबी से जूझने से लेकर विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने तक की यात्रा का साक्षी हैं। केन्द्रीय बैंक देश के महत्वपूर्ण संस्थानों में से एक है।

इस अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया। इस कार्यक्रम में सरकार, वित्तीय क्षेत्र नियामक संस्थानों, उद्योग, शिक्षाविदों, रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशकों, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों और रिजर्व बैंक के पूर्व और वर्तमान वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस, केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने वित्तीय प्रणाली में सुधार लाने और भारत की आर्थिक प्रगति में सक्रिय और जोरदार योगदान देने के लिए रिजर्व बैंक की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि विनियमन और नवाचार के बीच संतुलन बनाने में रिजर्व बैंक का सहयोगात्मक दृष्टिकोण न केवल ग्लोबल साउथ के लिए बल्कि डिजिटल भुगतान जैसे क्षेत्रों में विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी आशा की किरण है।

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