नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का फैसला (decision of demonetization) लिया था। हालांकि, अब मिली जानकारी के अनुसार चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि राज्य के आठ जिला बैंकों में 102 करोड़ रुपए की नकदी पड़ी है। यह पैसा रिजर्व बैंक (Reserve Bank) की गलत नीति के कारण फंसा हुआ है। यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में है। इससे जिला बैंकों के लिए भी समस्याएँ पैदा हो गई हैं। इन नोटों की गिनती क्यों नहीं होनी चाहिए? बैंक इस बात को लेकर असमंजस में हैं। अब इस मामले में अप्रैल में सुनवाई होगी और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या कोई महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाता है। राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष विद्याधर अनास्कर ने उम्मीद जताई है कि इस संबंध में जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।
महाराष्ट्र में कुछ सहकारी बैंकों के पास कुल मिलाकर 100 करोड़ रुपये से अधिक पुराने नोट हैं। ये वे नोट हैं जो केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा निर्धारित तिथि के बाद आए हैं। यह मामला केन्द्र सरकार का है। इस बारे में उचित जानकारी के साथ बात करना उचित होगा। यह राय महाराष्ट्र के सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल ने व्यक्त की है।
किस बैंक में कितना पैसा जमा है?
कोल्हापुर- 25.3 करोड़
पुणे - 22.2 करोड़
नासिक - 21.3 करोड़
सांगली - 14.7 करोड़
अहिल्यानाग- 11.7 करोड़
नागपुर - 5 करोड़
वर्धा- 78 लाख
अमरावती- 11 लाख
कुल 101.2 करोड़
आरबीआई को इन नोटों को नियमानुसार बदलना होगा - हसन मुश्रीफ
जब नोटबंदी का फैसला लिया गया था, तब केंद्र सरकार ने बैंक नोटों के आदान-प्रदान को लेकर कुछ नियम बनाए थे। तदनुसार, हमने कोल्हापुर जिला बैंक के सभी नोट विनिमय के लिए दे दिए, लेकिन 25 करोड़ रुपये के नोट अभी तक नहीं बदले गए हैं। हमने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में अपील की है, नियमों के अनुसार आरबीआई को इन नोटों को बदलना होगा। चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने राय व्यक्त की है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय को यथाशीघ्र हस्तक्षेप कर नोट बदलवाने चाहिए।
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