भारत में कोयले की मांग 5.5 प्रतिशत बढ़कर अबतक के रिकॉर्ड स्तर पर

Thu, Mar 27 , 2025, 02:05 PM

Source : Uni India

नई दिल्ली। आर्थिक विकास की तेज गति (Fast pace of economic growth) और औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ ही भीषण गर्मी (scorching heat) में बिजली की जबरदस्त जरूरत से वर्ष 2024 में भारत में कोयले की मांग इसके पिछले वर्ष के मुकाबले 5.5 प्रतिशत बढ़कर अबतक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ((IEA) की जारी ‘वैश्विक ऊर्जा समीक्षा 2025 (Global Energy Review 2025)’ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वर्ष 2024 के दौरान कोयले की मांग में 5.5 प्रतिशत (चार करोड़ टन कोयला के बराबर) की वृद्धि दर्ज की गई, जो सर्वकालिक उच्चतम स्तर है। भारत के काेयले की मांग में बढ़ोतरी का प्रमुख कारण देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि (rapidly growing economy) और बिजली की बढ़ती मांग को माना गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कोयले से बिजली उत्पादन कुल कोयला खपत का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा रखता है। वर्ष 2024 में, कोयला-आधारित बिजली उत्पादन में पांच प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो देश में बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को दर्शाता है। भीषण गर्मी में एयर कंडीशनिंग और औद्योगिक उपयोग के लिए बिजली की मांग में बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक औद्योगिक क्षेत्र में कोयले की मांग भी लगातार बढ़ रही है। भारत के इस्पात उत्पादन में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे कोयला आधारित स्पंज आयरन उत्पादन में 10 प्रतिशत और हॉट मेटल उत्पादन में 4.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इससे औद्योगिक कोयले की मांग को और मजबूती मिली।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के साथ-साथ चीन और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भी कोयले की खपत में बढ़ोतरी देखी गई। दुनिया में सबसे अधिक कोयले की खपत करने वाले चीन में वर्ष 2024 में कोयले की मांग में 1.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिससे वैश्विक कोयला खपत में उसका योगदान 58 प्रतिशत तक पहुंच गया। दक्षिण पूर्व एशिया में कोयले की खपत आठ बढ़ी, जहां इंडोनेशिया, फिलीपींस और वियतनाम प्रमुख उपभोक्ता बने रहे।

वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयला अब भी दुनिया का सबसे बड़ा बिजली उत्पादन का स्रोत बना हुआ है लेकिन बिजली उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी लगातार घट रही है। वर्ष 2024 में कोयला आधारित बिजली उत्पादन 10700 टीडब्ल्यूएच तक पहुंचा, जो एक प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है लेकिन वैश्विक ऊर्जा मिश्रण में इसका हिस्सा अब सिर्फ 35 प्रतिशत रह गया है, जो वर्ष 1974 के बाद सबसे निचला स्तर है। रिपोर्ट के अनुसार, जहां भारत और चीन जैसे देश कोयले पर अधिक निर्भर हो रहे हैं वहीं विकसित अर्थव्यवस्थाओं में इसका उपयोग घट रहा है। वर्ष 2024 में अमेरिका में कोयले की खपत चार प्रतिशत घटी जबकि यूरोपीय संघ में 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। 

ब्रिटेन ने सितंबर 2024 में अपने आखिरी कोयला बिजली संयंत्र को बंद कर दिया, जिससे वह कोयला-मुक्त बिजली उत्पादन वाले देशों की सूची में शामिल हो गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि वर्ष 2024 में वैश्विक कोयला-आधारित बिजली उत्पादन में 90 टीडब्ल्यूएच की वृद्धि हुई लेकिन पवन, सौर और परमाणु ऊर्जा से उत्पादन में 770 टीडब्ल्यूएच की वृद्धि दर्ज की गई। यदि इन वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का विस्तार नहीं हुआ होता तो वैश्विक कोयला मांग लगभग दोगुनी हो सकती थी।
 

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