नयी दिल्ली। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की संयुक्त सचिव और आईईपीएफ प्राधिकरण की सीईओ अनीता शाह अकेला (Anita Shah Akela) ने आज कहा कि वित्तीय समावेशन में भुगतान प्रणाली, ऋण, बीमा और निवेश के अवसरों तक पहुँच जैसे प्रमुख तत्व शामिल हैं, जिनमें से सभी को प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सरकारी नीतियों की आवश्यकता होती है। 2047 तक विकसित भारत के विजन को प्राप्त करने के लिए, अर्थव्यवस्था और सामाजिक समानता के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पहिये के रूप में व्यापक और समावेशी वित्तीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
श्रीमती अकेला ने एसोचैम द्वारा आयोजित तीसरे राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन सम्मेलन में कहा कि “ जैम (जन धन, आधार, मोबाइल) ट्रिनिटी ने बैंकिंग तक सभी के लिए पहुँच को इतना आसान और सरल बना दिया है, जिससे दुनिया इस पर ध्यान दे रही है। सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में नवाचारों ने डिजिटल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है और नीतिगत उपायों और पहलों ने वित्तीय सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वित्तीय संस्थाओं (Financial Institutions) ने खुद समावेशिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, खास तौर पर माइक्रोफाइनेंस सेवाओं के माध्यम से जो कम आय वाली आबादी को सेवाएं प्रदान करती हैं। डिजिटल लेनदेन प्लेटफॉर्म और तत्काल भुगतान सेवाओं, आईएमपीएस और डिजिटल वॉलेट जैसी सेवाओं के विस्तार ने लेनदेन को और अधिक सहज, सुरक्षित और लागत प्रभावी बना दिया है।”
उन्होंने कहा “वित्तीय समावेशन के साथ-साथ वित्तीय साक्षरता की भी आवश्यकता है और आईईपीएफए, बीएसई, सेबी, आरबीआई जैसे संगठन लोगों में वित्तीय साक्षरता फैलाने के लिए काम कर रहे हैं। ‘निवेशक दीदी’ और “निवेशक सारथी’ जैसे कार्यक्रम खास तौर पर महिलाओं के बीच वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने में सहायक रहे हैं।”
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Wed, Mar 05 , 2025, 06:54 PM