Madhubala: दिलकश अदाओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया मधुबाला ने!

Sun, Feb 23 , 2025, 11:53 AM

Source : Uni India

मुंबई। बॉलीवुड (Bollywood) में मधुबाला को एक ऐसी अभिनेत्री के रूप में याद किया जाता जिन्होंने अपनी दिलकश अदाओं और दमदार अभिनय से लगभग चार दशक तक सिने प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन किया। मधुबाला .मूल नाम.मुमताज बेगम देहलवी. (Mumtaz Begum Dehlavi) का जन्म दिल्ली में 14 फरवरी 1933 को हुआ था। उनके पिता अताउल्लाह खान में रिक्शा चलाया करते थे। तभी उनकी मुलाकात एक नजूमी (भविष्यवक्ता) कश्मीर वाले बाबा से हुयी जिन्होंने भविष्यवाणी की कि मधुबाला बड़ी होकर बहुत शोहरत पाएगी। इस भविष्यवाणी को अताउल्लाह खान ने गंभीरता से लिया और वह मधुबाला को लेकर मुंबई आ गये। वर्ष 1942 में मधुबाला को बतौर बाल कलाकार ..बेबी मुमताज..के नाम से फिल्म बसंत में काम करने का मौका मिला। 

बेबी मुमताज के सौंदर्य से अभिनेत्री देविका रानी (Devika Rani) काफी मुग्ध हुयी और उन्होंने उनका नाम 'मधुबाला' रख दिया। उन्होंने मधुबाला से बॉम्बे टाकीज की फिल्म 'ज्वार भाटा' में दिलीप कुमार के साथ काम करने की पेशकश भी कर दी। लेकिन मधुबाला उस फिल्म में किसी कारणवश काम नही कर सकी। 'ज्वारभाटा' हिंदी की महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक है। इसी फिल्म से अभिनेता दिलीप कुमार ने अपने सिने कैरियर की शुरूआत की थी। मधुबाला को फिल्म अभिनेत्री के रूप में पहचान निर्माता निर्देशक केदार शर्मा की वर्ष 1947 मे प्रदर्शित फिल्म 'नीलकमल' से मिली। इस फिल्म में उनके अभिनेता थे 'राजकपूर'। नील कमल बतौर अभिनेता राजकपूर की पहली फिल्म थी। भले हीं फिल्म नीलकमल सफल नही रही लेकिन इससे मधुबाला ने बतौर अभिनेत्री अपने सिने कैरियर की शुरूआत कर दी। वर्ष 1949 तक मधुबाला की कई फिल्में प्रदर्शित हुयी लेकिन इनसे उन्हें कुछ खास फायदा नहीं हुआ।

वर्ष 1949 में बांबे टॉकीज के बैनर तले बनी निर्माता अशोक कुमार की फिल्म 'महल' मधुबाला के सिने कैरियर में महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी। रहस्य और रोमांच से भरपूर यह फिल्म सुपरहिट रही और इसी के साथ बॉलीवुड में. हॉरर और सस्पेंस. फिल्मों के निर्माण का सिलसिला चल पड़ा। फिल्म की जबरदस्त कामयाबी ने नायिका मधुबाला के साथ ही निर्देशक कमाल अमरोही और गायिका लता मंगेशकर को भी फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया। वर्ष 1950 से 1957 तक का वक्त मधुबाला के सिने कैरियर के लिये बुरा साबित हुआ। इस दौरान उनकी कई फिल्में असफल रही। लेकिन वर्ष 1958 मे फागुन, हावडा ब्रिज, कालापानी तथा चलती का नाम गाड़ी जैसी फिल्मों की सफलता के बाद मधुबाला एक बार फिर से शोहरत की बुंलदियो तक जा पहुंची।

फिल्म हावडाब्रिज में मधुबाला ने क्लब डांसर की सटीक भूमिका अदा करके दर्शकों का मन मोह लिया। इसके साथ ही वर्ष 1958 में हीं प्रदर्शित फिल्म चलती का नाम गाड़ी में उन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों को हंसाते-हंसाते लोटपोट कर दिया। मधुबाला के सिने कैरियर में उनकी जोड़ी अभिनेता दिलीप कुमार के साथ काफी पसंद की गयी।फिल्म 'तराना' के निर्माण के दौरान मधुबाला दिलीप कुमार से मोहब्बत करने लगी।उन्होंने अपने ड्रेस डिजाइनर को गुलाब का फूल और एक खत देकर दिलीप कुमार के पास इस संदेश के साथ भेजा कि यदि वह भी उनसे प्यार करते हैं तो इसे अपने पास रख लें। दिलीप कुमार ने फूल और खत दोनों को सहर्ष स्वीकार कर लिया।

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