Birthday Special : सेना में काम करना चाहती थी नंदा! फिल्म छोटी बहन से चकमा किस्मत का सितारा 

Wed, Jan 08 , 2025, 04:04 PM

Source : Uni India

मुम्बई। बॉलीवुड में अपनी दिलकश अदाओं से अभिनेत्री नंदा (Actress Nanda) ने लगभग तीन दशक क तक दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि वह फिल्म अभिनेत्री न बनकर सेना में काम करना चाहती थी। मुंबई में 08 जनवरी 1939 को जन्मी नंदा के घर में फिल्म का माहौल था। उनके पिता मास्टर विनायक (Master Vinayak) मराठी रंगमंच के जाने माने हास्य कलाकार थे इसके अलावा उन्होंने कई फिल्मों का निर्माण भी किया था। 

उनके पिता चाहते थे कि नंदा फिल्म इंडस्ट्री (film industry) में अभिनेत्री बने लेकिन इसके बावजूद नंदा की अभिनय में कोई दिलचस्पी नहीं थी।नंदा महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस (great freedom fighter Subhash Chandra Bose) से काफी प्रभावित थी और उनकी ही तरह सेना से जुड़कर देश की रक्षा करना चाहती थी। एक दिन का वाकया है कि जब नंदा पढ़ाई में व्यस्त थी तब उनकी मां ने उसके पास आकर कहा..तुम्हें अपने बाल कटवाने होंगे। क्योंकि तुम्हारे पापा चाहते है कि तुम उनकी फिल्म में लड़के का किरदार निभाओ।

मां की इस बात को सुनकर नंदा को काफी गुस्सा आया। पहले तो उन्होंने बाल कटवाने के लिये साफ तौर से मना कर दिया लेकिन मां के समझाने पर वह इस बात के लिये तैयार हो गयी। फिल्म के निर्माण के दौरान नंदा के सिर से पिता का साया उठ गया साथ ही फिल्म भी अधूरी रह गयी। धीरे-धीरे परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी। उनके घर की स्थित इतनी खराब हो गयी कि उन्हें अपना बंगला और कार बेचने के लिये विवश होना पड़ा। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण नंदा ने बाल कलाकार फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। बतौर बाल कलाकार नंदा ने वर्ष 1948 में मंदिर, 1952 में जग्गु, 1954 में शंकराचार्य और अंगारे जैसी फिल्मों मे काम किया।

वर्ष 1956 में अपने चाचा व्ही शांताराम की फिल्म “तूफान और दीया” से नंदा ने बतौर अभिनेत्री अपने सिने करियर की शुरूआत की। हालांकि फिल्म की असफलता से वह कुछ खास पहचान नहीं बना पायी। फिल्म तूफान और दीया की असफलता के बाद नंदा ने राम लक्षमण, लक्ष्मी, दुल्हन, जरा बचके, साक्षी गोपाल, चांद मेरे आजा, पहली रात जैसी बी और सी ग्रेड वाली फिल्मों में बतौर अभिनेत्री काम किया लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कोई खास फायदा नहीं पहुंचा।

नंदा की किस्मत का सितारा निर्माता एल. वी. प्रसाद की वर्ष 1959 में प्रदर्शित फिल्म “छोटी बहन” से चकमा। इस फिल्म में भाई-बहन के प्यार भरे अटूट रिश्ते को रूपहले परदे पर दिखाया गया था। इस फिल्म में बलराज साहनी ने बड़े भाई और नन्दा ने छोटी बहन की भूमिका निभायी थी। शैलेन्द्र का लिखा और लता मंगेशकर द्वारा गाया फिल्म का एक गीत “भइया मेरे राखी के बंधन को निभाना” बेहद लोकप्रिय हुआ था। रक्षा बंधन के गीतों में इस गीत का विशिष्ट स्थान आज भी बरकरार है। फिल्म की सफलता के बाद नंदा कुछ हद तक फिल्म जगत में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गयी।

फिल्म “छोटी बहन” की सफलता के बाद नंदा को कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गये देवानंद की फिल्म “काला बाजार और हम दोनों” बी.आर .चोपड़ा की फिल्म “कानून” खास तौर पर उल्लेखनीय है। फिल्म काला बाजार जिसमें नंदा ने एक छोटी सी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभायी वही सुपरहिट फिल्म हम दोनों में उन्होंने देवानंद के साथ बतौर अभिनेत्री काम किया।वर्ष 1965 नंदा के सिने करियर का अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उनकी “जब जब फूल खिले” प्रदर्शित हुयी। बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की जबरदस्त कामयाबी ने न सिर्फ अभिनेता शशि कपूर और गीतकार आनंद बख्शी और संगीतकार कल्याण जी-आनंद जी को शोहरत की बुंलदियां पर पहुंचा दिया साथ ही उनको भी ‘स्टार’ के रूप में स्थापित कर दिया।

वर्ष 1965 में ही उनकी एक और सुपरहिट फिल्म गुमनाम भी प्रदर्शित हुयी। मनोज कुमार और नंदा की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में रहस्य और रोमांस के ताने-बाने से बुनी, मधुर गीत-संगीत और ध्वनि के कल्पनामय इस्तेमाल किया गया था। वर्ष 1969 में नंदा के सिने करियर की एक और सुपरहिट फिल्म “इत्तेफाक” प्रदर्शित हुयी। दिलचस्प बात है कि राजेश खन्ना और नंदा की जोड़ी वाली सस्पेंस थ्रिलर इस फिल्म में कोई गीत नहीं था बावजूद इसके फिल्म को दर्शकों ने काफी पसंद किया और उसे सुपरहिट बना दिया।

वर्ष 1982 में नंदा ने फिल्म “आहिस्ता आहिस्ता” से बतौर चरित्र अभिनेत्री फिल्म इंडस्ट्री में एक बार फिर से वापसी की। इसके बाद उन्होंने राजकपूर की फिल्म “प्रेमरोग” और मजदूर जैसी फिल्मों में अभिनय किया। दिलचस्प बात है इन तीनों फिल्मों में नंदा ने फिल्म अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे की मां का किरदार निभाया था। वर्ष 1992 में नंदा ने निर्माता-निर्देशक मनमोहन देसाई के साथ परिणय सूत्र में बंध गयी लेकिन वर्ष 1994 में मनमोहन देसाई की असमय मृत्यु से नंदा को गहरा सदमा पहुंचा। अपनी दिलकश अदाओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाली नंदा 25 मार्च 2014 को इस दुनिया को अलविदा कह गयी।

Latest Updates

Latest Movie News

Get In Touch

Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.

Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265

info@hamaramahanagar.net

Follow Us

© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups