शिंदे सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे अजित पवार!

Thu, Dec 05 , 2024, 10:11 PM

Source : Uni India

मुंबई। महाराष्ट्र में गुरुवार को उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले अजित अनंतराव पवार (Ajit Anantrao Pawar) इससे पहले भी एकनाथ शिंदे के सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। अजित पवार 1991 में बारामती लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। वह 2022 से 2023 तक महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे। बाइस जुलाई 1959 को श्री पवार का जन्म अहमदनगर जिले के देवलाली प्रवरा में हुआ। वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के चार बार पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार के भाई अनंतराव पवार के पुत्र हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा देवलाली प्रवरा से की लेकिन अपने पिता की मृत्यु के बाद अपने परिवार की मदद करने के लिए उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया।

उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) में अपने चाचा शरद पवार के नक्शे कदम पर चलते हुए की। श्री पवार ने 1982 में राजनीति में अपना पहला कदम रखा जब वह एक सहकारी चीनी कारखाने के बोर्ड के लिए चुने गए। वर्ष 1991 में उन्हें पुणे जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष के रूप में चुना गया और अगले 16 वर्षों तक इस पद पर बने रहे। वह 1991 में बारामती संसदीय क्षेत्र से पहली बार लोकसभा के लिए भी चुने गए। बाद में उन्होंने अपने चाचा के लिए सीट खाली कर दी, जो तब प्रधान मंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव की सरकार में रक्षा मंत्री बने। इसके बाद वह वह बारामती विधानसभा क्षेत्र से महाराष्ट्र विधानसभा के लिए सात बार चुने गए। उन्होंने पहली बार 1991 के उपचुनाव में जीत हासिल की और 1995, 1999, 2004, 2009 और 2014 में लगातार पांच बार इसे बरकरार रखा। उन्होंने 1991 से 1992 तक मुख्यमंत्री सुधाकरराव नाइक की सरकार में कृषि और बिजली राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।

वर्ष 1992 में जब शरद पवार (Sharad Pawar) मुख्यमंत्री बने तो वह मृदा संरक्षण, ऊर्जा और योजना राज्य मंत्री बने। 1999 में कांग्रेस- राकांपा गठबंधन सरकार के हिस्से के रूप में, वह सिंचाई विभाग के लिए जिम्मेदार कैबिनेट मंत्री बने। उन्हें 2003 में सुशील कुमार शिंदे के मंत्रिमंडल के हिस्से के रूप में ग्रामीण विकास विभाग भी दिया गया था। वर्ष 2004 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की जीत के बाद, उन्होंने श्री देशमुख और बाद में अशोक चव्हाण के मंत्रिमंडल में जल संसाधन मंत्रालय बरकरार रखा।

शरद पवार के खिलाफ बगावत करते हुये वह 23 नवंबर 2019 को राकांपा से अलग हो गए और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गए और उप मुख्यमंत्री बने। उन्होंने सरकार का बहुमत साबित करने के लिए राकांपा के विधायकों के हस्ताक्षर वाला एक कागज राज्यपाल को सौंपा। हालांकि, 80 घंटे से भी कम समय में सरकार गिर गई और उन्होंने तत्कालीन मुख्यमत्री देवेंद्र फड़नवीस के साथ इस्तीफा दे दिया। बाद में वह राकांपा में लौट आए और एक दिसंबर 2019 को यह घोषणा की गई कि वह 16 दिसंबर को राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र की शुरुआत के बाद महा विकास अघाड़ी सरकार के लिए उप मुख्यमंत्री का का पद संभालेंगे। वर्ष 2022 में शिवसेना में विभाजन के कारण महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई। बागी शिव सेना गुट और भाजपा द्वारा एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर सरकार बनाने के बाद पवार महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता बन गये।

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