Vasubaras Mythology : वसुबरस की पौराणिक कथा क्या है? इस दिन क्या करें...क्या न करें!

Fri, Oct 25 , 2024, 08:22 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Vasubaras Mythology : हिंदू धर्म में गाय को गोमाता (Gomata) कहा जाता है। धर्म में गाय का महत्वपूर्ण स्थान है. वसुबारस गाय के सम्मान का दिन है. यह त्यौहार आश्विन कृष्ण द्वादशी (Ashwin Krishna Dwadashi) को मनाया जाता है. इस दिन गाय की उसके पड़सा सहित पूजा की जाती है. वसु का अर्थ है धन या संपदा और बारस का अर्थ है द्वादशी. इसलिए इस दिन को गोवत्स द्वादशी कहा जाता है आइए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा और इस दिन का धार्मिक महत्व...

पौराणिक कथा
यह एक भीड़भाड़ वाला शहर था. वहाँ एक परिवार की एक बुढ़िया रहती थी. उसकी एक बहू थी. उनके पास गाय थीं. भैंसें भी थीं. वहाँ कौड़ियाँ, मुगलई बछड़े भी थे. तब आश्विन मास था. इस महीने के पहले बारहवें दिन बुढ़िया सुबह उठकर खेत की ओर जाने लगी. तभी सास ने बहू को बुलाया. बहू वैसे ही आई, बोली- लड़कियाँ, लड़कियाँ, इधर आओ. सास ने कहा मैं खेत पर जाती हूं. मैं दोपहर को आऊंगा. तुम खेत में जाओ और गेहूँ तथा मूंग के दाने इकट्ठा करो और उन्हें पकाओ.


इसके बाद सास खेत पर चली गयी. बहू ने खेत में जाकर गेहूँ के साथ-साथ चने भी रख दिये. नीचे आकर वह गौशाला में चली गयी. घावली-मुगाली बछड़े उछल रहे थे.उसे उसकी पुत्रवधू ने मार डाला और टुकड़े-टुकड़े कर दिया. इसके बाद वह उन्हें पकाती रही और अपनी सास का इंतजार करती रही. दोपहर को सास घर लौट आई. सूरज ने एक पत्ता उगाया. सास ने देखा. उसने लाल मांस देखा. उसने सूर्य से पूछा कि यह क्या है? सूने ने सब तथ्य बता दिये. तब सास घबरा गई. ये बहुत बड़ी गलती थी. वह भगवान के सामने जाकर बैठ गयी. प्रार्थना की भगवन्, यह अपराध मेरी पुत्रवधू के हाथ से हुआ. उसने कहा कि उसे माफ कर दो. उन्होंने ग्वालों को भी जीवित रखने की बात कही. सास ने निश्चय किया कि यदि तूने इन्हें जीवित नहीं किया तो मैं शाम को इन्हें मार डालूंगी.

उसके बाद सास भगवान के पास बैठ गयी. भगवान ने उसका दृढ़ संकल्प देखा. ईमानदार अंतरंग देखा. देर शाम गायें आ गईं. जैसे ही हम्बर्डा टूटने लगा तो भगवान चिंतित हो गये. भगवान ने सोचा कि उसका निश्चय नहीं डगमगाएगा. तब परमेश्वर ने बछड़े को जीवित कर दिया. वह उछल पड़ी और पीने चली गयी. गाय के जबड़े बंद हो गये. बुढ़िया खुश थी. सूरज को आश्चर्य हुआ. ये देखकर सभी लोग खुश हो गए. फिर बूढ़े ने गायों की पूजा की. पकाया और पेश किया. भगवान का शुक्र है. फिर हमने खाना खाया. खुश था. तो आप हम होंगे. इस भंडार की कहानी पांचवां उत्तर है, देवब्राह्मण के दरवाजे, पिंपल के किनारे, गौशालाएं सुफल संपुरा.

इस दिन क्या न करें?
> गोवत्स एकादशी के दिन गेहूं और मूंग नहीं खाया जाता है.

> दूध और दूध से बनी चीजें न खाएं.

> तला-भुना और तवे पर तला हुआ खाना खाना वर्जित है.

इस दिन क्या करें?
>
इस दिन से आंगन में रंगोली बनाई जाती है. इसी दिन से दिवाली की शुरुआत होती है.

> जिन लोगों के घर में गाय-बैल और बछड़े हैं वे इस दिन पूर्णा-वरण पकाते हैं. उनका प्रसाद दिखाया गया है.

> सुहागन स्त्रियां अविवाहित रहकर संवत्सर के समय बछड़े वाली गाय की पूजा करती हैं.

> सवाष्णा महिलाएं गाय के पैरों पर पानी डालती हैं.

> फिर हल्दी-कुंकु, पुष्प, अक्षत प्रवाहित करें. इसके बाद उनके गले में फूलों की माला पहनाई जाती है.

>निरंजना को हटा दिया गया.इसके बाद केले के पत्ते पर पूरनपोली जैसी चीज उगती है और उसे गाय को खिला देती है.

> महिलाएं बाजरे की रोटी और फलियां वाली सब्जियां खाती हैं. इसे खाकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं.

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