50 Khoke Dimkd OK : शिवसेना में फूट के बाद राज्य ही नहीं देश में भी लोकप्रिय हुआ 'पनास खोके एकदम ओके(Panas Khoke Dimkd OK) ' नारे की मशहूर पैरोडी आज 50 खोके एकदम ओके दशहरा के मौके पर थिएटर में आ रही है। राजनीतिक माहौल में हलचल मचने की आशंका है, क्योंकि यह नाटक ठीक उस समय आ रहा है, जब दशहरा मिलन समारोहों (Dussehra Milan Samarohs) के मौके पर राजनीतिक आतिशबाजी फूटने वाली है।
इस नाटक को मंच पर लाने का समय भी अच्छा चुना गया है। राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव (upcoming assembly elections) के मद्देनजर शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) मुंबई में दशहरा सभाएं कर रहे हैं। उससे कुछ घंटे पहले कल्याण के एक थिएटर में इस नाटक का उद्घाटन समारोह होगा।
मराठी नाटक इस विषय पर सूक्ष्मता से टिप्पणी करता प्रतीत होता है। उद्घाटन समारोह 12 अक्टूबर को कल्याण के आचार्य अत्रे रंगमंदिर में आयोजित किया जाएगा, जो एकनाथ शिंदे के लंबे समय से सांसद श्रीकांत शिंदे का निर्वाचन क्षेत्र है। जयवंत भालेकर द्वारा लिखित और अशोक हर्ष द्वारा निर्मित, श्रृंखला की दूसरी कड़ी का मंचन 13 अक्टूबर को दादर के शिवाजी मंदिर में किया जाएगा।
नारे का जन्म कैसे हुआ?
जून 2022 में एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायक शिवसेना से अलग हो गए। उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाकर असली पार्टी का दावा किया। चुनाव आयोग ने इसे स्वीकार कर लिया। यह विवाद फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है। तब से ठाकरे की शिवसेना ने आरोप लगाया है कि शिंदे और उनके समर्थक विधायकों के विद्रोह के पीछे वित्तीय लेनदेन था। ठाकरे की शिवसेना ने आरोप लगाया है कि केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने शिंदे के प्रत्येक विधायक को 50 करोड़ रुपये दिए हैं। उसी से '50 खोके एकदम ओके' का नारा जन्मा। यह घोषणा बेहद लोकप्रिय हुई। उसी लोकप्रियता का उपयोग नाटक के लिए किया गया है।
यह नाटक अराजनीतिक है!
नाटक के निर्माता अशोक हर्ष ने दावा किया है कि यह नाटक अराजनीतिक है, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया है कि इसमें राजनीतिक घटनाओं पर टिप्पणी की गई है। हमने लोक रंगमंच का प्रयोग किया है। हालाँकि इस नाटक में कोई नाम नहीं है, लेकिन वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर एक हास्य टिप्पणी है।
सेंसर बोर्ड के सुझाव के मुताबिक बदलाव
काल्पनिक तिंगरपुरी साम्राज्य पर आधारित यह नाटक एक राजा, एक रानी, उनके सरदार और राज्य पर उनके निर्णयों के प्रभाव के इर्द-गिर्द घूमता है। नाटक के लेखक जयवंत भालेकर ने बताया कि राज्य सेंसर बोर्ड के निर्देशानुसार नाटक में कुछ बदलाव किये गये हैं।
फिल्मों, नाटकों और गानों को राजनीतिक टिप्पणी के साथ प्रचार के लिए इस्तेमाल करने का तरीका नया नहीं है। 2014 के चुनाव के बाद से इसका इस्तेमाल और ज्यादा होने लगा है। जून 2022 में, शिवसेना के विभाजन से एक महीने पहले, 'धर्मवीर' नामक एक मराठी फिल्म रिलीज़ हुई थी। एकनाथ शिंदे के गुरु, शिवसेना नेता आनंद दिघे के जीवन पर आधारित, शिंदे को दिघे के वैचारिक और राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में प्रचारित किया गया था।
अब आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर शिंदे के समर्थकों ने फिल्म 'धर्मवीर 2' रिलीज कर दी है। इस फिल्म में शिंदे को शिव सेना की हिंदुत्व विचारधारा के नेता के तौर पर दिखाया गया है। फिल्म के जरिए उनके उद्धव ठाकरे से अलग होने के फैसले को सही ठहराया गया है।
नाटक 'विच्छा माझी पुरी करा' से तुलना
अभी पिछले महीने ही वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक समेल ने मुख्यमंत्री पर एक और मराठी नाटक 'माला कही तारी सांगायचा आहे एकनाथ संभाजी शिंदे' की घोषणा की थी। अब '50 खोके एकदम ओके' के चलते चुनाव प्रचार को दूसरा रंग मिलने वाला है। पूरे नाटक का निर्देशन करने वाले दीपक गोडबोले ने इस नाटक की तुलना दादा कोंडके के लोकप्रिय लोक नाटक 'विच्छा माझी पुरी करा' से की है।
गोडबोले ने यह भी जवाब दिया कि क्या यह ठाकरे और शिंदे के बीच दुश्मनी पर एक राजनीतिक टिप्पणी है। गोडबोले ने कहा कि दर्शक यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे कि हमारे नाटक में '50 बक्से' का क्या मतलब है और उन बक्सों से क्या निकलता है।
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Sat, Oct 12 , 2024, 10:40 AM