मुंबई : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महिला को सरपंच पद बहाल करते हुए कहा कि महिला सरपंच की बर्खास्तगी (dismissal of a woman sarpanch) को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने जलगांव के विचखेड़ा गांव की महिला सरपंच को पद से हटाने के बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के आदेश को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने उस मानसिकता को अनसुना कर दिया है जो महिला सशक्तिकरण के खिलाफ काम करती है. कोर्ट ने यह भी सुना कि लोगों द्वारा चुने जाने के बाद भी ग्रामीण इलाकों में किसी महिला को सरपंच पद से हटाने को हल्के में नहीं लिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक महिला का सरपंच पद पर चुना जाना इस बात का उदाहरण है कि गांव वालों को यह बात पच नहीं रही है. कोर्ट ने यह भी कहा कि हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि जो महिलाएं सार्वजनिक पदों पर पहुंचती हैं, उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है. एक देश के रूप में सभी क्षेत्रों में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने में सार्वजनिक कार्यालयों, स्थानीय निकायों में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने के संवैधानिक प्रयास शामिल हैं.सुप्रीम कोर्ट ने कहा, लेकिन वास्तव में, कुछ ऐसी घटनाएं और उदाहरण उस विकास में बाधा बन रहे हैं जिसे हासिल किया जाना है.
विचखेड़ा गांव (Vichkheda village) की सरपंच मनीषा पानपाटिल (sarpanch Manisha Panpatil) ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सच्चाई दुख देती है लेकिन न्याय की जीत होती है. हमने कोई अतिक्रमण नहीं किया है. हमें बेवजह फंसाया और ढाई साल तक सत्ता से बाहर रखा. इसके कारण गांव का विकास नहीं हो सका और मनीषा पानपाटिल ने विश्वास जताया कि बचे हुए कार्य शेष कार्यकाल में पूरे कर लिये जायेंगे.
विचखेड़ा सरपंच मनीषा पनपाटिल के खिलाफ ग्रामीणों ने अतिक्रमण की शिकायत की थी. आरोप था कि वह सरकारी जमीन पर बने मकान में रह रही थी. इस पर मनीषा ने बताया कि वह अपने पति और बच्चों के साथ अलग किराये के मकान में रहती है. गांव के ओंकार भील, आशाराम गायकवाड़, गणपत भील, पंडित पवार ने मनीषा के खिलाफ जिला कलेक्टर को शिकायत दर्ज कराई.
कलेक्टर से लेकर हाईकोर्ट तक का फैसला इसके खिलाफ था
शिकायत के बाद जिला कलेक्टर ने मनीषा पानपाटिल को सरपंच पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया. इस पर मंडलायुक्त ने भी फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद मनीषा ने हाईकोर्ट की ओर रुख किया. वहां भी फैसला मनीषा के खिलाफ आया. आख़िरकार वह सुप्रीम कोर्ट गईं और वहां मनीषा के पक्ष में फैसला आया.
Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.
Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265
info@hamaramahanagar.net
© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups
Mon, Oct 07 , 2024, 02:56 PM