High Court on Badlapur Case: बदलापुर के एक स्कूल में दो लड़कियों से रेप के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने स्वत: संज्ञान लेते हुए याचिका दायर की है। इस मामले में कोर्ट ने पुलिस और सरकार को आड़े हाथों लिया है। क्या आप 'सदरक्षणाय खलनिग्रहणाय'' का मतलब समझते हैं, पूछ रहे हैं कि जब बदलापुर में यौन उत्पीड़न का मामला (case of sexual harassment) सामने आया तो जल्दी मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया? साथ ही कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि अगर लड़कियां स्कूल में सुरक्षित नहीं हैं तो उनके शिक्षा के अधिकार का क्या मतलब है।
बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले से राज्य में आक्रोश फैल गया है। आरोपियों को कड़ी सजा देने की मांग को लेकर बदलापुर रेलवे स्टेशन (Badlapur railway station) पर विरोध प्रदर्शन किया गया और ट्रेन भी रोकी गई। नागरिकों के इस विरोध का बॉम्बे हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है और इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए याचिका दायर की गई है। इस पर आज कोर्ट में पहली सुनवाई हो रही है।
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जस्टिस रेवती मोहिते डेरे (Justice Revati Mohite Dere) और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच के सामने हुई। इस समय कोर्ट ने पुलिस और सरकार की नीति की आलोचना की। सरकार का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता हितेन वेनेगांवकर ने किया। जज जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे ने कहा, ''अगर लड़कियां स्कूलों में सुरक्षित नहीं हैं, तो शिक्षा के अधिकार का क्या फायदा? अगर 4 साल की बच्चियां भी ऐसी घटनाओं का शिकार होती हैं तो समाज कहां जा रहा है? यह एक तरह से चौंकाने वाला है।
अपराध दर्ज करने में देरी क्यों हुई?
कोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर भी संदेह जताया है। जब यह घटना हुई तो पुलिस ने देरी क्यों की? साथ ही स्कूल प्रशासन ने देरी क्यों की? कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब दो लड़कियों के साथ दरिंदगी हुई तो सिर्फ एक पीड़िता का बयान क्यों दर्ज किया गया। क्या प्रभावित बच्चों के माता-पिता के बयान दर्ज किए गए हैं? जब मामला गंभीर है तो पुलिस की ढिलाई क्यों बर्दाश्त की जाए। इसलिए, हम इस मामले में कारवां ऑर्डर करने में संकोच नहीं करेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा है कि पुलिस ने इस मामले में क्या किया, इसकी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी जाए।
अगली सुनवाई मंगलवार को होगी
कोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस से मामले पर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र पुलिस को अपना आदर्श वाक्य याद रखना चाहिए और 'सदरक्षणाय खलनिग्रहणाय' का अर्थ समझना चाहिए। साथ ही इस मामले में अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।
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Thu, Aug 22 , 2024, 04:05 AM