19th Anniversary of Hamara Mahanagar: हमारे पास ही है सृजन की क्षमता...! सारी समस्याओं का समाधान सनातन धर्म हैः  शंकराचार्य

Wed, Aug 21 , 2024, 12:01 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई। लोकप्रिय हिंदी दैनिक ''हमारा महानगर'' की 19वीं वर्षगांठ (19th anniversary) पर अखबार के ओमेगा हाऊस(Omega House), हीरानंदानी गार्डन, पवई (Hiranandani Garden Powai) स्थित कार्यालय में आशीर्वाद देने पधारे द्वारका शारदा एवं ज्योतिर्मठ द्विपीठाधीश्वर परम पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज (Param Pujya Jagadguru Shankaracharya Swami Prajnanananda Saraswati Ji Maharaj) ने समाचार पत्र की चिरंतन यात्रा के लिए शुभकामनाएं देते हुए ''हमारा महानगर''  परिवार से सत्पथ पर चलने का आवाहन किया।

उन्होंने कहा कि सत्य का कोई विकल्प नहीं है। समाचार पत्र का काम जनहित और देशहित में सत्य लोक प्रबोधन करना है। मुझे विश्वास है कि ''हमारा महानगर'' यह करता है और करता रहेगा। उन्होंने कहा कि सारी समस्याओं का समाधान सनातन धर्म (Sanatan Dharma) है, क्योंकि प्रकाश तो हमारे पास से ही मिलेगा। हम तू बड़ा कि मैं बड़ा कि प्रतिस्पर्धा में शामिल न होकर संपूर्ण जगत को अपना परिवार मानते हैं और हमारी प्रार्थनाओं में हम लोक कल्याण की, विश्व कल्याण (world welfare) की कामना करते हैं। हमारे पास ही सृजन की क्षमता है, हमने विघटन नहीं किया, हमने अंधकार का विघटन किया है।

देश से बाहर किया जाए बांग्लादेशियों को
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने बांग्लादेश की घटनाओं को चिंताजनक बताया। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में दो तरह की संस्कृति है, एक आतंकवाद का सृजन कर रही है तो दूसरी उसका पालन-पोषण कर रही है। ऐसे में आप विचार कीजिए कि हम कहां खड़े हुए हैं? मजे की बात यह है कि विश्व में अंधेरा फैलाने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है, लेकिन जब-जब अशांति आती है, उस समय हमने ही यहां से शांति का संदेश दिया। हमने ही विश्व कल्याण की कामना की है। आतंकवाद का पालन-पोषण करने वालों को हम ही समाधान देंगे। अंधकार, अंधकार को समाधान नहीं देगा। प्रकाश तो हमारे पास से ही मिलेगा। हमारे पास सृजन की क्षमता है,हमने विघटन नहीं किया है। हमने अंधकार का विघटन किया है और सारे विश्व को जीवन जीने का संदेश दिया है। ऐसे में बांग्लादेश की घटना विश्व को चिंतिंत करने वाली हैं। इस घटना ने विश्व को सोचने के लिए मजबूर कर दिया। हिंदुओं के उपासना स्थलों को तोड़ा गया, हिंदुओं को मारा-पीटा गया, उनकी दुकानें लूट ली गई और व्यापार को खत्म किया गया। इस घटना ने भारत को भी चेता दिया कि आप आस्तीन में सांप पाल रहे हो। आपने बांग्लादेशी, रोहिंग्या को नहीं निकाला तो वह दिन दूर नहीं, जब हम भी उसी स्थित में पहुंच जाएंगे। राष्ट्र की रक्षा के लिए आवश्यक है कि देश से बांग्लादेशियों को बाहर किया जाए। मानवता की रक्षा के लिए आवश्यक है कि उन्हें बाहर किया जाए।
 
भारत हिंदू राष्ट्र था और रहेगा
हिंदू राष्ट्र के सवाल पर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि इस मामले पर हमारा अलग अभिमत है। हिंदू का मतलब सनातन से है और सनातन का मतलब शाश्वत है। भारत कल भी हिंदू राष्ट्र था और आगे भी रहेगा। रावण, कंस के दौर में भी भारत हिंदू राष्ट्र था। हमें हिंदू राष्ट्र चाहिए, लेकिन रामराज भी चाहिए। जहां कोई दीन दुखी न हो, कोई हैरान-परेशान न हो, यही हमारी रामराज की संकल्पना है। उन्होंने कहा कि सारी समस्याओं का समाधान सनातन धर्म में है। हमारा धर्म शाश्वत है और यह किसी ने नहीं बनाया। व्यक्ति यदि धर्म के प्रति जागृत हो जाए तो कोई अपराध नहीं करेगा। कोई गौ हत्या नहीं करेगा। जिस दिन व्यक्ति धर्म से जुड़ जाएगा, संसार में कानून बनाने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि धर्म से बड़ा कोई कानून नहीं है।  
 
आनंद ही मुक्ति का मार्ग
उन्होंने कहा कि हमारा जीवन वेद और वेदांत से भरा है। जीवन जीते-जीते चिन्मय शांति को प्राप्त कर लेना ही आनंद है और यही आनंद ही मुक्ति है। अशांत व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता। धन-दौलत से आप सुख के साधन प्राप्त कर लेंगे, लेकिन सुख नहीं पा सकते और सुख तब मिलेगा, जब आपके पास शांति हो। आज सत्य को उजागर करने की बड़ी प्रासंगिकता है। नीति और नीयत दिशा और दशा तय करती है, इसलिए हमारी सत्य के पीछे जो नीयत है, वह पवित्र होनी चाहिए। लक्ष्य पवित्र हो, संकल्प पवित्र हो तो उसे हम शिवसंकल्प कहते हैं। सत्य प्रताड़ित हो सकता है, पराजित नहीं हो सकता। सत्य को सामने लाने में अवरोध आएंगे, उन्हें पार करना है। झूठ रूपी अंधकार से लड़ना होगा और सत्य को प्रस्तुत कर दिखाना होगा।

आतंकवाद हमारी संस्कृति नहीं
उन्होंने कहा कि आतंकवाद का सृजन-पालन पोषण करने वाला कौन है? ये आप जानते हैं। ये हमारे यहां की संस्कृति और धर्म नहीं है। इन लोगों ने कहा कि हमें आपके साथ नहीं रहना है, हमने भारत मां के टुकडे कर दिए। उन्हें अलग देश बनाकर दे दिया। अब कोई बोल रहा है कि यहां हमारा अधिकार है तो क्या हमें उनके अधिकार को स्वीकार कर लेना चाहिए? हमारे यहां मेहमान आते हैं तो हम मेहमान नवाजी करते हैं, लेकिन घर की तिजोरी नहीं देते, निर्णय का अधिकार नहीं देते। जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि संवैधानिक पद और वोट देने के अधिकार पर मुस्लिम और हिंदुस्तान की धरती पर जो धर्म पैदा नहीं हुआ, उनका कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। हम तो कुत्तों को भी रोटी देते हैं, लेकिन अधिकार जिनका है, वह उनका है।

तत्काल लागू हो सीएए, एनआरसी
उन्होंने कहा कि शंकराचार्य जैसे सर्वोच्च पद पर बैठे होने के नाते सरकार को सलाह-मशविरा और निर्देश है कि तत्काल प्रभाव से सीएए और एनआरसी को लागू किया जाए। हमारे हिंदू भाई अलग-अलग देशों में परेशान हो रहे हैं। उन्हें यहां लाकर पूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। हमने उनका पालन-पोषण किया, जिनका कोई अधिकार नहीं था, लेकिन जिनका अधिकार है, वे दूसरों देशों में पिट रहे हैं, उनका दोष यही है कि वे विभाजन के बाद देश में नहीं आए, लेकिन वे जहां पर भी रहे, अपने धर्म-संस्कृति को बचाए हुए हैं। यदि उन्हें नहीं बचाया गया तो सरकार की कर्तव्यनिष्ठा पर प्रश्न चिन्ह लगा जाएगा। वर्तमान सरकार पर संपूर्ण राष्ट्र ने विश्वास किया है और लोगों के विश्वास पर खरा उतरना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है।

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