Israeli army: इजरायली कमांडो की बहादुरी! 3 महिलाओं को बचाते वक्त अचानक आ गए 30 आतंकी, फिर...

Sat, Jun 15, 2024, 04:55

Source : Hamara Mahanagar Desk

Israeli army: इजरायली सेना खतरनाक ऑपरेशन (dangerous operations) करने के लिए जानी जाती है. इजरायली सेना (Israeli army) अब तक कई हैरतअंगेज कारनामे कर चुकी है. आईडीएफ (IDF) ने कुछ दिन पहले हमास की कैद (hostages from Hamas) से चार बंधकों को मुक्त कराया था. हमास के आतंकियों ने इन बंधकों को 7 अक्टूबर को नोवा म्यूजिकल फेस्टिवल (Nova Musical Festival) से अगवा कर लिया था. तब से ये सभी हमास की हिरासत में हैं. उन्हें छुड़ाने के लिए इजरायली सेना को खास ऑपरेशन चलाना पड़ा. इसमें बड़ी संख्या में वायुसेना, आर्टिलरी कमांड और कमांडो ने हिस्सा लिया. समुद्र के रास्ते वे फ़िलिस्तीन द्वारा नियंत्रित क्षेत्र में प्रवेश कर गये. शिन बेट और इजरायली पुलिस की यमम एटीएस इकाई ने ऑपरेशन में भाग लिया. ऑपरेशन में यमम का एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया.

ऑपरेशन की योजना कुछ हफ्ते पहले बनाई गई थी. यह योजना विश्वसनीय एवं ठोस गोपनीय जानकारी के आधार पर बनाई गई थी. आईडीएफ बंधकों को छुड़ाने के लिए प्रतिबद्ध था. आईडीएफ के प्रवक्ता रियर एडमिरल डेनियल हगारी ने यह जानकारी दी.

अचानक खराब हो गई कार, फिर...
बंधकों की रिहाई के लिए दुश्मन द्वारा ध्यान भटकाने और धोखे की रणनीति बनाई गई. जिन दो स्थानों पर बंधकों को रखा गया था, वहां सेना को सुबह 11 बजे आगे बढ़ने की हरी झंडी मिल गई. शिन बेट और यमम यूनिट ने आतंकवादियों से हाथ मिला लिया. भारी गोलीबारी के बीच बंधकों को जिंदा बाहर निकाला गया. बंधकों को निकालने के बाद तीन लोगों को ले जा रहा वाहन अचानक खराब हो गया. लेकिन आईडीएफ की मदद से कमांडो बंधकों को एक सैन्य हेलीकॉप्टर तक पहुंचाने में कामयाब रहे. बंधकों को तुरंत तेल अवीव की सीमा के पास शीबा मेडिकल सेंटर ले जाया गया.

'मिस्टा' अरविम' यूनिट का बड़ा रोल
सबसे पहले, 'मिस्टा' अरविम' इकाई को स्थानीय नागरिकों के साथ घुलने-मिलने के लिए नुसेरात के स्थानीय बाजार में भेजा गया था. गोपनीय जानकारी एकत्र करने की जिम्मेदारी 'मिस्टा' अरविम' इकाई की है। 'मिस्टा' अरविम' की जिम्मेदारी न सिर्फ स्थानीय लोगों से जानकारी हासिल करना थी, बल्कि आतंकियों से मिली जानकारी की पुष्टि करना भी उसकी जिम्मेदारी थी. इसके अलावा हवाई निगरानी और उन्नत तकनीक की मदद से जानकारी एकत्र की गई। 19 दिनों तक जानकारी जुटाने के बाद जासूसों ने बंधकों को कहां रखा? इसके बारे में सटीक जानकारी मिली.

योजना प्रस्तुत करने का आदेश
यह जानकारी जून की शुरुआत में कैबिनेट के सामने रखी गई थी. आईडीएफ के चीफ ऑफ स्टाफ और शिन बेट के प्रमुख को बंधकों की रिहाई के लिए एक योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था. यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत सावधानी बरती गई कि गोपनीय जानकारी लीक न हो. वरिष्ठ कमांडरों समेत गाजा में सुरक्षा बलों को इसकी जानकारी नहीं दी गई.

गुप्त सैनिकों ने क्या किया?
गुप्त सैनिकों की एक अन्य टीम प्राप्त जानकारी को सत्यापित करने और ऑपरेशन की तैयारी के लिए नुसेरात शरणार्थी शिविर में दाखिल हुई. इसमें हिजाब और लंबी काली पोशाक पहने महिलाओं को दिखाया गया है. उन्होंने दिखावा किया कि हम गाजा से हैं और एक बड़े घर की तलाश में हैं. दो सस्ती कारों से वहां पहुंचे. इसमें घरेलू सामान, गद्दे, कपड़े थे.

3 घंटे में घर मिल गया
नुसेर्राट कैंप में रहने वाले अंडरकवर एजेंट से पूछा, कहां से हो? उन्होंने कहा कि इजरायली सेना की गोलीबारी के कारण वह राफा से भाग गये थे. उसने एक मकान किराये पर ले लिया. नूह ने उस इमारत की ओर इशारा किया जहां अरगामनी रखी गई थी. स्थानीय लोगों में से एक को अधिक पैसे का लालच दिया गया था. उन्होंने मौजूदा दरों से दो से तीन गुना ज्यादा पैसे देने की तैयारी दिखाई. उन्हें स्थानीय लोगों की मदद से 3 घंटे में उसी जगह पर एक घर मिल गया जहां नूह अरगामनी को रखा गया था.

महिला सैनिकों के पीछे गुप्त पुरुष एजेंट
यह सुनिश्चित करने के बाद कि किसी को उन पर शक न हो, एजेंटों ने अपना काम शुरू कर दिया. दो टीमों में बंट गए. एक टीम में दो कमांडो थे. एक ने गाजा के आम नागरिक की तरह कपड़े पहने हुए थे. चार अंडरकवर एजेंट हिजाब पहनकर घूम रही महिला का पीछा कर रहे थे. अगर अचानक कुछ हो जाए तो वह हथियार बैकअप देने के लिए तैयार था. दूसरी टीम में चार महिला सिपाही शामिल थीं. वे अरब महिलाओं की तरह कपड़े पहने हुए थीं. उनमें से एक गर्भवती होने का नाटक कर रही थी. चार गुप्त पुरुष एजेंट लगातार उसका पीछा कर रहे थे. इस बीच टीम के अन्य सदस्य घर की देखरेख के लिए वहीं रहेंगे. सूचना एकत्रीकरण से पुष्टि हुई कि सभी चार बंधकों को गाजा में दो परिवारों ने बंधक बना रखा था.

कितने कमांडो पहुंचे?
5 जून की रात को अधिकांश एजेंट इलाका छोड़कर चले गए. अगले दिन 6 जून को 'यमम' यूनिट के 28 कमांडो दो टीमों में नुसेरात शरणार्थी शिविर पहुंचे. यूनिट के सैनिक दो ट्रकों में छिपकर यात्रा कर रहे थे. कमांडो सुबह 11 बजे से ठीक पहले दोनों लक्षित स्थानों पर पहुंच गए. हमले के आदेश का इंतजार है. इसके बाद आईडीएफ के विमानों ने तलाशी अभियान शुरू किया. दोनों बंधक इमारतों के पास कोई संदिग्ध गतिविधि नहीं देखी गई.

6 मिनट के अंदर कमांडो बाहर निकल गए
गली और 800 मीटर लंबी सड़क का लाइव कवरेज सीधे इज़राइल के कमांड और कंट्रोल सेंटर में शुरू हुआ. यहीं से ऑपरेशन की निगरानी की गई. ठीक 11 बजे कमांडो को आगे बढ़ने का आदेश मिला. उन्होंने दोनों इमारतों पर एक साथ हमला किया. इजरायली कमांडो ने नोआ अर्गामानी के पास तैनात आतंकियों को मार गिराया. 6 मिनट के अंदर उसे अपार्टमेंट से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.

तीसरी मंजिल पर बंधकों को कैसे बचाया जाए?
कमांडो यूनिट उसे हेलीकॉप्टर तक ले गई. वहां से उसे तुरंत इजराइल ले जाया गया. लेकिन दूसरी बिल्डिंग में तीसरी मंजिल

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