बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने शुक्रवार को भवानी रेवन्ना (Bhavani Revanna) की अग्रिम जमानत याचिका (anticipatory bail plea) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। श्रीमती रेवन्ना अपने पुत्र एवं जनता दल (सेक्युलर) से निलंबित नेता प्रज्वल रेवन्ना (Prajwal Revanna) के खिलाफ लगे यौन शोषण के आरोपों (allegations of sexual abuse) से जुड़े अपहरण मामले में फंसी हैं। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित ने कहा कि श्रीमती भवानी की अंतरिम अग्रिम जमानत अंतिम फैसला आने तक जारी रहेगी। जमानत की सख्त शर्तों के तहत उन्हें मैसूर और हासन जिलों में कदम रखने से रोक दिया गया है। श्रीमती भवानी पर एक महिला के अपहरण की साजिश रचने का आरोप है, जिसका तथित तौर पर उनके पुत्र ने हमला किया था, ताकि वह शिकायत दर्ज कराने से चुप हो जाए। उनका पुत्र प्रज्वल कई महिलाओं के कथित यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले में फंसा हुआ है और फिलहाल पुलिस हिरासत में है।
विशेष लोक अभियोजक प्रो. रविवर्मा कुमार ने श्रीमती भवानी की जमानत रद्द करने के लिए अदालत से गुहार लगाई है और उन्हें पीड़िता के अपहरण के पीछे "मास्टरमाइंड" करार दिया, जिससे अदालत में हड़कंप मच गया। उन्होंने तर्क दिया कि उनकी निरंतर स्वतंत्रता से सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को डराने-धमकाने का जोखिम पैदा हो सकता है।
प्रो. कुमार कहा, "क्या यह महिला एक माँ है? उसे उससे (प्रज्वल रेवन्ना) सवाल करना चाहिए था! उसने यह सब, वीडियो, तस्वीरें आदि कैसे होने दिया? उसने अपने घर में यह सब कैसे होने दिया?" वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता सी.वी. नागेश ने कहा कि हिरासत में पूछताछ अनुचित थी, उन्होंने जोर देकर कहा कि श्रीमती भवानी जांच में सहयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 364 ए के तहत आरोप, (जो फिरौती के लिए अपहरण से संबंधित है) अग्रिम जमानत के आवेदन योग्य है।
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Sat, Jun 15, 2024, 10:19