वसुंधरा एवं उनके बेटे दुष्यंत का झालावाड़-बारां संसदीय क्षेत्र में गत 35 सालों से राजनीतिक दबदबा

Mon, Apr 22, 2024, 12:59

Source : Uni India

झालावाड़-बारां। राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) और उनके पुत्र दुष्यंत सिंह (Dushyant Singh) का पिछले 35 सालों से झालावाड़ संसदीय क्षेत्र (Jhalawar parliamentary constituency) में राजनीतिक दबदबा हैं और इस बार भी प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को इस क्षेत्र में होने वाले चुनाव में श्री दुष्यंत सिंह लगातार पांचवीं जीत दर्ज करने एवं अपना दबदबा बरकरार रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी के रुप में चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं जहां उनका मुख्य मुकाबला पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी एवं कांग्रेस उम्मीदवार उर्मिला जैन भाया से माना जा रहा है।

इस क्षेत्र में इन दोनों प्रमुख दलों के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के चन्द्र सिंह किराड़, राइट टू रिकाल पार्टी के भुवनेश कुमार एवं निर्दलीयों सहित सात उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं।देश के पहले लोकसभा चुनाव 1952 से लेकर 2004 तक के चुनाव तक झालावाड़ संसदीय क्षेत्र एवं इसके पश्चात परिसीमन के बाद वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव से यह क्षेत्र झालावाड़-बारां संसदीय क्षेत्र कहलाता है और इसमें आजादी के बाद से अब तक हुए सत्रह चुनावों में सर्वाधिक नौ बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधितव मां-बेटे ने ही किया हैं। 

श्रीमती राजे ने वर्ष 1989 के नौवीं लोकसभा के चुनाव में झालावाड़ संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़कर चुनाव जीता और इस क्षेत्र में पार्टी का खाता खोला। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह इसके अगले चार चुनाव वर्ष 1991, 1996, 1998 एवं 1999 लगातार जीतकर पांच बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद वर्ष 2004 का चुनाव श्री दुष्यंत सिंह ने लड़ा और वह पहली बार सांसद बनकर इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद झालावाड़ के साथ बारां को भी जोड़ देने से झालावाड़-बारां से श्री सिंह ने वर्ष 2009, 2014 एवं 2019 के लगातार चुनाव जीतकर इस क्षेत्र से चार बार सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया और पांचवीं बार जीतने के लिए चुनाव मैदान में अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं।

इस क्षेत्र का पहला चुनाव 1952 में कांग्रेस ने जीता। पहले चुनाव में कांग्रेस के नेमीचंद कासलीवाल विजयी रहे और उन्होंने इसके अगला चुनाव 1957 का भी कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में जीता लेकिन इसके बाद कांग्रेस यहां से लंबे समय बाद वर्ष 1984 का चुनाव जीत पाई जिसमें उसके प्रत्याशी जुझार सिंह ने चुनाव जीतकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद कांग्रेस को आज तक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला है। इस क्षेत्र में भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी बृजराज सिंह ने वर्ष 1962, 1967 एवं 1971 का लगातार तीन चुनाव जीते। इसके बाद जनता पार्टी के चतुर्भुज ने वर्ष 1977 एवं 1980 का चुनाव जीता।

इस बार के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए कोई कड़ी मुश्किलें नहीं मानी जा रही हैं और उसका मुख्य मुकाबला कांग्रेस से ही होने के आसार हैं। इस क्षेत्र में पिछले लंबे समय से श्रीमती राजे का राजनीतिक दबदबा हैं और वह दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रही हैं और अपने क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ मानी जा रही है। हालांकि वह लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ रही है लेकिन उनके पुत्र के सामने इस चुनाव में कोई मुश्किलें खड़ी होती नजर नहीं आ रही है।

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