Holika Dahan : होलिका दहन की पूजा, मंत्रों का जाप व पौराणिक कथा 

Sat, Mar 23 , 2024, 08:37 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाता है. होलिका शाम के समय जलाई जाती है. इस दिन से विशेष धार्मिक मान्यता (religious affiliation) भी जुड़ी हुई है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के अग्नि में भस्म हो जाने के बाद से होलिका दहन की शुरूआत हुई थी. गली के चौराहे या किसी मैदान में लकड़ियों और कंडों को जमा करके ढेर तैयार किया जाता है और शाम के समय शुभ मुहूर्त में इसकी परिक्रमा करके पूजा की जाती है. इसके अगले दिन ही रंग खेलकर होली का पर्व मनाया जाता है. यहां जानिए इस साल होलिका दहन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शुभ मंत्रों के बारे में.
इस साल 24 मार्च, रविवार की शाम होलिका दहन किया जाएगा. होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहने वाला है. इस बार भद्राकाल 24 मार्च रात 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगा . इसके पश्चात यानी 11 बजकर 14 मिनट से 12 बजकर 20 मिनट के बीच होलिका दहन किया जा सकता है.
होलिका दहन के दिन पूजा के समय पीले या सफेद रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है. इस दिन महिलाओं को होलिका दहन के दौरान अपने बाल खुले नहीं रखने चाहिए. होलिका दहन के लिए गोबर से होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं. होलिका की अग्नि में रोली, अक्षत, फूलों की माला, गुड़, साबुत हल्दी, कच्चा सूत, गुलाल और बताशे समेत पांच तरह के अनाज डाले जाते हैं. इस दिन भगवान नरसिंह की भी पूजा होती है. ॐ होलिकायै नम:, ॐ प्रह्लादाय नम: और ॐ नृसिंहाय नम: मंत्रों का जाप किया जा सकता है. होलिका दहन कर लेने के बाद अपनी इच्छाओं की पूर्ति की मनोकामना की जाती है. 

करें इन मंत्रों का जाप
अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।
वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च। अतस्त्वं पाहि मां देवी! भूति भूतिप्रदा भव।।

यह है पौराणिक कथा 
मान्यतानुसार असुरों के राजा हिरण्यकश्यप (king hiranyakashyap) के घर विष्णु भक्त प्रह्लाद का जन्म हुआ. हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से ईर्ष्या करता था परंतु प्रह्लाद परम विष्णु भक्त बन गया. ऐसे में हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने की कोशिशें करने लगा लेकिन हर बार ही प्रह्लाद बच जाया करता था. ऐसे में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठ जाए. होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती. लेकिन, जब होलिका प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठी तो भस्म हो गई परंतु प्रह्लाद पर आंच भी नहीं आई. भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद जलने से बच गया. इसीलिए हर साल होलिका दहन किया जाता है. यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखा जाता है.

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