Cataract in women: हमारे शरीर की पांच इंद्रियों में आंखें सबसे महत्वपूर्ण और नाजुक इंद्रिय (delicate sense) हैं। मोतियाबिंद (Cataract) एक नेत्र संबंधी रोग (eye disease) है जो आमतौर पर चालीस-पचास वर्ष की उम्र के बाद होता है। आजकल डिजिटल (social media) मीडिया के इस्तेमाल से मोतियाबिंद की समस्या बढ़ती जा रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि एक अध्ययन के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं को आंखों की समस्या (eye problems) अधिक होती है। महिलाओं में मोतियाबिंद जैविक और सामाजिक दोनों (biological and social reasons) कारणों से हो सकता है। यदि इसका तुरंत इलाज किया जाए तो अंधापन नहीं होता है।
जैविक और सामाजिक दोनों कारक जिम्मेदार
इस संबंध में डाक्टर का कहना है कि बढ़ती उम्र के साथ महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक है आंखों की बीमारी। दरअसल रजोनिवृत्ति, मासिक धर्म, गर्भावस्था और स्तनपान जैसे हार्मोनल उतार-चढ़ाव भी आंखों की समस्याओं में योगदान करते हैं। उदाहरण के लिए, एस्ट्रोजन आंखों के लिए एक सुरक्षात्मक कारक के रूप में कार्य करता है, जिससे रजोनिवृत्ति (menopause) के बाद महिलाओं में आंखों की समस्याएं होने की संभावना अधिक हो जाती है। गर्भावस्था गर्भावस्था के कारण ऊतक लोच में परिवर्तन हो सकता है, जिससे दृष्टि संबंधी परिणाम हो सकते हैं। इसके अलावा, गर्भावधि मधुमेह रेटिनोपैथी (retinopathy) का कारण बन सकता है। हालाँकि इन जैविक कारकों को बदला नहीं जा सकता है, फिर भी महिलाओं के बीच जागरूकता बढ़ाने और शीघ्र निदान और उपचार की आवश्यकता है।
सामाजिक कारकों के संदर्भ में आर्थिक स्थिति, लैंगिक असमानता, अपर्याप्त पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसे कारक शामिल हैं। डॉ। आगे बताया गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में आंखों की ये समस्याएं अधिक होती हैं। महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान या उम्र बढ़ने के साथ-साथ आंखों से संबंधित सूक्ष्म रोग भी हों, इस पर ध्यान देना जरूरी है। इसके लिए महिलाओं को समय-समय पर अपनी आंखों की जांच कराना जरूरी है। इसके अलावा, आंखों के प्रति जागरूकता, हार्मोनल उतार-चढ़ाव, जीवनशैली विकल्प और आनुवंशिकी जैसे कारक भी शामिल हैं।
साथ ही अपोलो स्पेक्ट्रा मुंबई के नेत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ. नुसरत बुखारी का कहना है कि अध्ययनों के मुताबिक आंखों की समस्याएं लिंग के हिसाब से भी कम या ज्यादा होती हैं। उम्र से संबंधित मैक्यूलर डीजनरेशन (एएमडी), मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी दृष्टि समस्याओं का खतरा पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होता है। ग्लूकोमा और मोतियाबिंद के 61 प्रतिशत मरीज महिलाएं हैं और 66 प्रतिशत दृष्टिहीन मरीज महिलाएं हैं।
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Fri, Mar 22 , 2024, 03:18 AM