Holi and Puran Poli: होली रंगों, उमंगों, से भरा रंबबिरंगा त्यौहार (colorful festival) है। हर जगह पर होली के दिन अलग- अलग पकवान बनायें जाते हैं। महाराष्ट्र में कहावत है कि 'होळी रे होळी पुरणाची पोळी... (Puranpoli)। होली के दिन महाराष्ट्र के हर घर (house of Maharashtra) में पूरनपोली बनाई जाती है। यह कहते हुए कि होली पर पूरनपोली खाना शास्त्र है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि होली (Holi 2024) में पुरनपोली क्यों बनाई जाती है? नहीं...तो फिर आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि होली पर पूरनपोली क्यों बनाई जाती है तो आइए जानते हैं इसके पीछे का विज्ञान...
होली का त्योहार पूरे राज्य में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली की अग्नि में अनेक बुरी प्रवृत्तियों की आहुति दी जाती है। बुरी प्रवृत्तियों पर विजय का जश्न मनाने के लिए हर घर में पूरनपोली की योजना बनाई जाती है। भारत कृषी प्रधान देश है। भारत में मनाए जाने वाले सभी त्योहार या त्योहारों के लिए बनाए जाने वाले सभी भोजन कृषि कैलेंडर (अंग्रेजी में कृषि कैलेंडर) से संबंधित हैं। हर मौसम में या मौसम के अनुसार आने वाली फसल का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
पूरनपोली बनाने के पीछे क्या कारण है?
होली का त्यौहार (festival of Holi) आमतौर पर मार्च के महीने में आता है। रबी की फसल मार्च माह में काटी जाती है। रबी फसलें नवंबर और फरवरी के बीच सर्दियों के मौसम में उगाई जाने वाली फसलें हैं। कटाई फरवरी और मार्च के बीच होती है। गेहूं, चना दाल और गुड़ रबी की फसलें हैं जिनका उपयोग पूरनपोली के लिए किया जाता है। इसे नई कटाई की गई फसलों का उपयोग करके एक अनुष्ठानिक प्रसाद बनाकर देवता को चढ़ाया जाता है। घर में कोई भी नई चीज खरीदने के बाद उसे सबसे पहले भगवान के सामने रखा जाता है। उसी प्रकार किसान भी अपने खेतों में उगे अन्न को भगवान को अर्पित करते हैं। इसलिए कटी हुई फसल का प्रसाद भगवान को दिखाया जाता है। किसान नई फसलों का उपयोग करके अपना आभार व्यक्त करते हैं। इसलिए होली पर पूरनपोली बनाई जाती है।
होली कब है?
होली के त्योहार का लोग साल भर इंतजार करते हैं। कुछ जगहों पर होली के एक महीने पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। हिंदू पंचाग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाता है और अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। इस साल 24 मार्च को होलिका दहन और अगले दिन 25 मार्च को धूलिवंदन (रंगपंचमी) होगा। इस साल 100 साल बाद होली के साथ चंद्र ग्रहण का संयोग बना है। पंचांग के अनुसार इस नए साल का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च 2024 को फाल्गुन माह की पूर्णिमा को लगेगा। एक नहीं, दो नहीं बल्कि 100 साल बाद होली के दिन चंद्रग्रहण का संयोग बना है। ऐसे में साल का पहला ग्रहण बेहद खास होने वाला है।
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Thu, Mar 21 , 2024, 12:47 PM