Bullet Train project: मुंबई से अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना (Mumbai to Ahmedabad high speed rail project) जिसे बुलेट ट्रेन (bullet train) के नाम से जाना जाता है। गति के मामले में हवा को टक्कर देने वाली यह भारत की पहली बुलेट ट्रेन होगी। अंतिम क्षण जब गोली बंदूक की नली से बाहर निकलती है उसे थूथन वेग (muzzle velocity) कहा जाता है। बंदूक का थूथन वेग लगभग 120 मीटर/सेकेंड है। (390 एफ/एस) से 370 मीटर/सेकेंड। (1,200 एफपीएस) बहुत बड़ा है। हालाँकि बुलेट ट्रेन के लिए फीट प्रति सेकंड या मील प्रति घंटा सबसे आम अमेरिकी माप (American measurement) है, वही गति 432 किमी/घंटा से 1,332 किमी/घंटा तक एक घंटे के अंतराल में मापी जा सकती है।
बुलेट ट्रेन की असाधारण गति 320 किमी/घंटा है जिससे लोगों का काफी कीमती समय बचता है।
अगले कुछ सालों में मुंबई और अहमदाबाद (Mumbai and Ahmedabad) के बीच बुलेट ट्रेन चलेगी। बुलेट ट्रेन 508 किमी की यह दूरी महज तीन घंटे में तय करेगी। फिलहाल दुरंतो एक्सप्रेस (Duronto Express) को यह दूरी तय करने में साढ़े पांच घंटे का समय लगता है। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट (Bullet Train project) की कुल लागत 1.20 लाख करोड़ रुपये है, यानी हर किलोमीटर पर 236 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। शिंकानसेन (Shinkansen) को जापान में हाई स्पीड ट्रेन(high speed train) के नाम से जाना जाता है। इस ट्रेन की शुरुआत 1964 के टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) के दौरान की गई थी।
शुरुआत में इस ट्रेन की गति 210 किमी/घंटा थी जिसे बाद में बढ़ाकर 300 किमी/घंटा कर दिया गया। ट्रेन, जो होंशू और क्यूशू द्वीपों को जोड़ती है, सामान्य पटरियों पर 443 किमी/घंटा और मैग्लेव ट्रैक पर 581 किमी/घंटा की परीक्षण गति तक आसानी से पहुंच जाती है। शंघाई मैग्लेव (Shanghai Maglev) चीन की गतिशील ट्रेन है जो चुंबकीय रेल पर प्रतिकर्षण के सिद्धांत पर चलती है। यह मैग्लेव ट्रेन 2003 में शुरू हुई और शंघाई हवाई अड्डे (Shanghai Airport) से बाहरी जिलों तक चलती है। मैग्लेव बुलेट ट्रेन प्रणाली (Maglev Bullet Train system) को सरल शब्दों में वर्णित किया जा सकता है क्योंकि आपका वाहन एक स्थान से दूसरे स्थान तक बेहद तेज गति से जाने के लिए पहियों के बिना जमीन को छुए बिना कुछ हद तक तैरता है।
मैग्लेव शब्द का विस्तारित रूप चुंबकीय उत्तोलन है। मैग्लेव डिज़ाइन को सबसे पहले ब्रुकहेवन नेशनल लेबोरेटरी में जेम्स पॉवेल और गॉर्डन डेंबी द्वारा विकसित किया गया था। बाद में उन्हें 1960 में इस आविष्कार के लिए पेटेंट प्राप्त हुआ। ट्रैफिक जाम में फंसने के बाद, पॉवेल को तेज गति से भागने की इच्छा महसूस हुई और उन्होंने इसका समाधान एक सुपरकंडक्टिंग चुंबक का उपयोग पाया। दो सजातीय चुंबकीय ध्रुव एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं और इस प्रतिकर्षण का उपयोग इलेक्ट्रोडायनामिक्स का उपयोग करके निलंबन यानी तैरते रहने के लिए किया जा सकता है। सुपरकंडक्टर चुम्बक विद्युत चुम्बक होते हैं जिन्हें बहुत कम तापमान तक ठंडा किया जाता है।
इसलिए, उनके चुंबकीय क्षेत्र की ताकत तेजी से बढ़ जाती है। घोड़े की नाल के आकार में बने और क्रैंकक्रीट गार्ड पर रखे गए ऐसे शक्तिशाली चुंबक, ऊपर किसी भी भारी वस्तु को आसानी से उछाल देते हैं, जिससे वह तैरती रहती है। चुंबकीय बल द्वारा ऊपर की ओर धकेलने को उत्तोलन कहा जाता है जबकि आगे की ओर धकेलने की प्रक्रिया को प्रणोदन कहा जाता है। ऐसे शक्तिशाली चुम्बकों को मैग्लेव बुलेट ट्रेन के चारों कोनों पर नियमित अंतराल पर लगाकर उत्तोलन और प्रणोदन प्राप्त किया जाता है और बुलेट ट्रेन तेज़ गति से चलती है।
भारतीय बुलेट ट्रेन परियोजना (Indian Bullet Train project) में कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ आने वाली हैं। रेलवे प्राधिकरण ने समुद्र के नीचे एक सुरंग के माध्यम से 7 किलोमीटर लंबे हिस्से को पूरा करने की योजना बनाई है जो मुंबई के मैंग्रोव क्षेत्र और राजहंस पक्षी अभयारण्य (Flamingo Bird Sanctuary) से होकर गुजरता है। हाई स्पीड ट्रेन का ट्रैक जमीन से 10 से 12 मीटर ऊपर होगा। कुछ स्थानों पर पहले से निर्मित अवरोधों जैसे मेट्रो लाइन या ओवरब्रिज के मामले में यह ऊंचाई बढ़ानी पड़ सकती है। साबरमती में प्रस्तावित स्टेशन के पास एक ओवरब्रिज के साथ-साथ एक मेट्रो लाइन भी है। इसलिए यहां स्टेशन की ऊंचाई 20 से 22 मीटर होनी चाहिए।
वडोदरा में दोनों तरफ घनी आबादी होने के कारण काम के लिए जगह कम है। अहमदाबाद और साबरमती का भी यही हाल है। मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में मिथिनदी के पास एक अंडरग्राउंड स्टेशन बनाया जाएगा और इसकी सुरंग नदी के उस पार ले जानी होगी। समुद्र के नीचे सुरंग का व्यास लगभग 13.1 मीटर होगा, जिसमें एक ट्यूब में दो ट्रैक होंगे। मेट्रो के पास पहले से ही 6.5 मीटर व्यास वाली सुरंग और एक ट्यूब में ट्रैक है। भूकंप के झटकों से बचने के लिए बुलेट ट्रेन को 28 भूकंपमापी प्रणाली से लैस करने की योजना है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के मुताबिक, बीकेसी मुंबई में बुलेट ट्रेन के लिए सबवे की तैयारी चल रही है।
देश में बनने वाला पहला अंडरवॉटर सबवे(underwater subway), बीकेसी के इस अंडरग्राउंड स्टेशन में 6 प्लेटफॉर्म होंगे, जिनकी लंबाई 425 मीटर होगी। हाई स्पीड बुलेट ट्रेन में कुल 16 कोच होंगे। इन 16 कोचों के हिसाब से हर स्टेशन पर प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे। इस रेलवे के कुल 12 स्टेशन प्रस्तावित हैं, जैसे साबरमती, अहमदाबाद, आनंद, वडोदरा, भरूच, सूरत, बिलिमोरा, वापी, बोइसर, विरार, ठाणे और बीकेसी मुंबई, जो 2 घंटे 58 मिनट में पूरा हो जाएगा। जापान सरकार के पास 81 प्रतिशत, भारत सरकार के पास 50 प्रतिशत और महाराष्ट्र तथा गुजरात सरकार के पास 25-25 प्रतिशत हिस्सेदारी है और हमें उम्मीद है कि हम जल्द ही इसमें शामिल हो जायेंगे। अमेरिका के पास आज भी बुलेट ट्रेन नहीं है। जापान और चीन के बाद वह भारत में दौड़ेंगी। हमें भी अपने सपनों की ओर उतनी ही तेजी से दौड़ना चाहिए ना..!
Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.
Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265
info@hamaramahanagar.net
© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups
Fri, Feb 16 , 2024, 11:30 AM