० साक्षात्कार में राकांपा प्रमुख ने किया खुलासा
मुंबई। राकांपा प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) के मन में क्या चल रहा है, इसकी थाह पाना संभव नहीं है। फिलहाल उनके बयान महाविकास आघाड़ी के सहयोगी दल कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहे हैं। पवार ने अडानी मामले में जेपीसी के गठन को फिजूल ठहरा दिया, जबकि कांग्रेस इस मांग पर अड़ी हुई है। अब राकांपा प्रमुख ने शिवसेना यूटीबी प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बारे में कहा कि जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, तो सहयोगी दल राकांपा और कांग्रेस से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया था।
एक मराठी न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में पवार ने कहा कि उद्धव ठाकरे केवल अपनी पार्टी की वजह से मुख्यमंत्री नहीं बने थे। उनके मुख्यमंत्री बनने में कांग्रेस और राकांपा के विधायकों का योगदान था, लेकिन उन्होंने किसी से सलाह-मशविरा नहीं करते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
बड़े दिल वाले इंसान थे बाला साहेब
शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे के बारे में पवार ने कहा कि हमारे बीच दोस्ताना संबंध थे। बाला साहेब बड़े दिल वाले इंसान थे। उनकी विशेषता थी कि यदि वे आपकी नीति से सहमत नहीं होते तो सीधे शाब्दिक हमला करते थे, इस काम में वे कोई कंजूसी नहीं करते थे। यदि उन्हें कोई नीति अच्छी लगती थी तो वे राजनीतिक परिणामों के बारे में विचार नहीं करते थे। इमरजेंसी के दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी का समर्थन किया था। उद्धव ठाकरे अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे है। हालांकि उन्हें शारीरिक बीमारियों की वजह से उनकी सीमा है, लेकिन वे प्रयास कर रहे हैं।
बचा जाए व्यक्तिगत टीका- टिप्पणी से
राकांपा प्रमुख ने राज्य में फडतूस और काडतूस शब्दों के चलन पर सभी नेताओं के कान उमेठे। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत स्तर पर टीका टिप्पणी नहीं होनी चाहिए। पवार ने कहा कि मैं महाराष्ट्र की संस्कृति को जानता हूं। मुझे जनता की मानसिकता पता है। जहां तक संभव हो, ऐसी चीजों से बचना चाहिए। व्यक्तिगत हमला नहीं होने चाहिए, राजनीतिक मुद्दों को उठाना चाहिए। लोगों के मुद्दे उठाओ, उस पर आक्रामक रूख अपनाओ, लेकिन कीचड़ उछालना ठीक नहीं है। बता दें कि अभी हाल ही में फडतूस और काडतूस शब्दों के जरिए पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उपमुख्मंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली थी।
गठबंधन में आसान नहीं सीटों का वितरण
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए अभी एक साल बाकी है। फिलहाल महाविकास आघाड़ी में सीटों के बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि आघाड़ी की राजनीति में सीटों का वितरण, विभागों का वितरण आसानी से नहीं होता। उनके दावे होते हैं, लेकिन चर्चा के माध्यम से समस्याओं का समाधान हो जाता है और सीटों का वितरण होगा। सीटों के बंटवारा करते वक्त कुछ सीटें छोड़नी पड़ती तो कुछ सीटें लेनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि महाविकास आघाड़ी में लोग इसके लिए तैयार हैं।
कुछ मामलों पर हो सकती है अलग राय
पवार ने कहा कि वे लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद की संसदीय राजनीति में 54 साल हैं। देश में इतने वर्ष काम करने वाला कोई दूसरा नेता नहीं है। इतने साल संसद-विधायिका में काम करने के बाद हमारे पास भी कुछ अनुभव है। मेरा विचार है कि सत्ताधारी-विरोधी पक्ष के नेता, प्रधानमंत्री एक संस्था है। शरद पवार ने स्पष्ट किया कि नीति के अनुसार उनकी आलोचना की जानी चाहिए और व्यक्तिगत रूप से आलोचना नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि एकाध बार हम सभागृह में अलग भूमिका लेते हैं, यह मान्य है। कुछ मामलों में मतभेद हो सकता है, इसका मतलब असहमति नहीं है। सदन में अपनी बात रखने का सभी को हक है। पवार ने कहा कि कई लोगों की कई मुद्दों पर अलग-अलग राय हो सकती है।
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Tue, Apr 11 , 2023, 08:35 AM